पटना: बिहार की राजनीति हमेशा से उतार-चढ़ाव और आश्चर्य की गठरी रही है. यहाँ सरकारें बनती-बिगड़ती रहती हैं और कई बार ऐसे रिकॉर्ड बन जाते हैं जो सालों तक चर्चा में रहते हैं.
अब जब नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं तब एक पुराना नाम फिर से लोगों की जुबान पर आ जाता है सतीश प्रसाद सिंह. ये वही नेता हैं जो बिहार के मुख्यमंत्री सिर्फ चार दिन रह सके.
सतीश प्रसाद सिंह बिहार के एक छोटे से राजनीतिक दल ‘शोषित दल’ से आते थे. यह पार्टी खास तौर पर पिछड़े और दलित वर्गों की आवाज उठाती थी. 1967 में वे पहली बार विधायक बने थे.
उस समय बिहार में कोई भी सरकार ज्यादा दिन नहीं टिक रही थी. एक के बाद एक सरकार गिर रही थी और नई-नई गठबंधन सरकारें बन रही थीं.
28 जनवरी 1968 को महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार गिर गई. उसके बाद कई छोटे-छोटे दल और निर्दलीय विधायक मिलकर एक नई सरकार बनाने की कोशिश करने लगे. उस गठबंधन में किसी बड़े या मशहूर नेता को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमति नहीं बन पा रही थी. आखिरकार सबने मिलकर नए-नए विधायक सतीश प्रसाद सिंह को मुख्यमंत्री चुन लिया.
28 जनवरी 1968 को सतीश प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. हालांकि, यह गठबंधन इतना कमजोर था कि टिक ही नहीं सका. चार दिन बाद ही 1 फरवरी 1968 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इस तरह उनका कार्यकाल सिर्फ 4 दिन का रहा. उनके बाद बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (बी.पी. मंडल) मुख्यमंत्री बने.
बिहार में कई मुख्यमंत्री ऐसे रहे जिनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा. खुद नीतीश कुमार भी मार्च 2000 में सिर्फ 7 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन आज तक सबसे कम दिनों तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड सतीश प्रसाद सिंह के नाम ही है – सिर्फ 4 दिन!
उनके इस्तीफे के बाद बी.पी. मंडल मुख्यमंत्री बने और बाद में मंडल आयोग की रिपोर्ट ने पूरे देश में पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिलवाया. इस तरह सतीश प्रसाद सिंह का नाम अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक न्याय की उस बड़ी लड़ाई से भी जुड़ गया.