'वो सूत्र को हम मूत्र समझते हैं', अवैध वोटर विवाद पर भड़के तेजस्वी यादव, चुनाव आयोग को बताया कठपुतली

तेजस्वी यादव ने कहा कि 2003 में यूपीए सरकार के तहत आखिरी बार एसआईआर हुआ था. इसके बाद 2014, 2019 और 2024 में कई चुनाव हुए. उनमें हम 3-4 लाख वोटों से हारे. क्या इसका मतलब यह है कि ये सभी विदेशी मतदाता पीएम मोदी के लिए वोट डाल रहे थे?

Imran Khan claims

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को उन खबरों को खारिज कर दिया, जिनमें दावा किया गया था कि चुनाव आयोग की विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के दौरान बिहार में बांग्लादेश, नेपाल और म्यांमार के लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकृत पाया गया. तेजस्वी ने सवाल उठाते हुए कहा, "ये सूत्र कौन हैं?" इन खबरों को बकवास करार देते हुए उन्होंने "अवैध मतदाताओं" के दावे पर तंज कसा, "ये वही सूत्र हैं जिन्होंने कहा था कि इस्लामाबाद, कराची और लाहौर पर कब्जा हो गया है." उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा, "ये सूत्र को हम मूत्र समझते हैं."

तो क्या अवैध वोटर अब तक मोदी को वोट डाल रहे थे

पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मतदाता सूची में संदिग्ध तत्वों के नाम शामिल हैं, तो इसके लिए एनडीए जिम्मेदार है. उन्होंने कहा, "2003 में यूपीए सरकार के तहत आखिरी बार एसआईआर हुआ था. इसके बाद 2014, 2019 और 2024 में कई चुनाव हुए. उनमें हम 3-4 लाख वोटों से हारे. क्या इसका मतलब यह है कि ये सभी विदेशी मतदाता पीएम मोदी के लिए वोट डाल रहे थे?... इसका मतलब है कि मतदाता सूची में संदिग्ध नामों के लिए एनडीए दोषी है." उन्होंने आगे कहा, "इसका मतलब यह है कि उन्होंने जो भी चुनाव जीते, वे धोखाधड़ी थे."

चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप

तेजस्वी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए और एसआईआर को "आंखों में धूल झोंकने" वाला कदम बताया. उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग किसी राजनीतिक दल के सेल की तरह काम कर रहा है." इससे पहले एक समाचार चैनल ने चुनाव आयोग के अधिकारियों के हवाले से बताया था कि बिहार में मतदाता सूची संशोधन के लिए घर-घर सत्यापन के दौरान नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के "बड़ी संख्या में" व्यक्तियों की पहचान की गई है.

 मतदाता सूची संशोधन का राष्ट्रीय महत्व

बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले, चुनाव आयोग की विशेष गहन संशोधन प्रक्रिया ने गति पकड़ ली है. यह अभियान अवैध प्रवासियों को मतदाता सूची से हटाने का लक्ष्य रखता है और इसे देश भर में विस्तार देने की योजना है. बूथ-स्तरीय अधिकारी (BLO) घर-घर सत्यापन के दौरान संदिग्ध विदेशी नागरिकों की पहचान कर रहे हैं. 1 अगस्त से इनकी नागरिकता की स्थिति की जांच शुरू होगी. चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि अवैध प्रवासियों के नाम अंतिम मतदाता सूची, जो 30 सितंबर को प्रकाशित होगी, में शामिल नहीं होंगे.

 विपक्ष की चिंता और सुप्रीम कोर्ट का रुख

विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया की आलोचना की है और चेतावनी दी है कि इससे वैध नागरिकों का बड़े पैमाने पर मताधिकार छिन सकता है. दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के प्रयासों की संवैधानिकता का समर्थन किया, लेकिन आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को सत्यापन के लिए वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का निर्देश दिया. अगले साल असम, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में भी चुनाव होने हैं, जहां मतदाता सूची की ऐसी ही जांच हो सकती है.
 

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