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'नीतीश ने पैसे से वोट खरीदा...', प्रशांत किशोर का राजनीति से संन्यास के ऐलान पर यू टर्न, बोले-किसी पद पर नहीं

बिहार चुनाव नतीजों के बाद प्रशांत किशोर संन्यास वाली अपनी बात से पीछे हट गए हैं. उन्होंने जेडीयू की जीत को महिलाओं में बांटे गए पैसों से जोड़ा और दावा किया कि सरकार 2 लाख रुपये न दे तो इसे वोट खरीदना माना जाएगा.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में जन सुराज पार्टी के शून्य पर सिमटने के बाद प्रशांत किशोर पहली बार मीडिया के सामने आए और अपने पुराने बयान से पीछे हटते दिखे. 

उन्होंने साफ कहा कि जेडीयू के 25 से ज्यादा सीटें जीतने पर राजनीति छोड़ने वाली उनकी बात technically लागू ही नहीं होती, क्योंकि वे पार्टी में किसी पद पर हैं ही नहीं. वहीं उन्होंने नीतीश कुमार पर चुनाव से पहले जीविका समूह की महिलाओं को 10 हजार रुपये देकर वोट खरीदने का गंभीर आरोप लगाया और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए.

संन्यास की बात से पीछे हटे प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका बयान राजनीतिक पद छोड़ने से जुड़ा था, जबकि वह जन सुराज पार्टी में किसी पोस्ट पर नियुक्त ही नहीं हैं. इसलिए इस्तीफा देने का प्रश्न उत्पन्न नहीं होता. उन्होंने कहा कि यह दावा उन्होंने चुनावों से पहले किया था कि जेडीयू 25 से कम सीटें लाएगी, लेकिन परिणाम उम्मीद से उलट रहे. इसके बावजूद वे बिहार छोड़ने वाले नहीं हैं और आगे भी इसी तरह काम करते रहेंगे.

नीतीश सरकार पर वोट खरीदने का आरोप

पीके ने आरोप लगाया कि चुनाव से ठीक पहले जीविका समूह की महिलाओं को मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत 10 हजार रुपये नकद दिया गया, जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ. उनका कहना है कि अगर सरकार छह महीने बाद योजना के तहत 2-2 लाख रुपये महिलाओं को दे देती है, तो वे बिहार और राजनीति दोनों छोड़ देंगे. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता, तो यह साबित होगा कि नकद राशि केवल वोट खरीदने के लिए दी गई थी.

40 हजार करोड़ की योजनाओं का चुनावी असर

प्रशांत किशोर ने कहा कि चुनाव से पूर्व सरकार ने 40 हजार करोड़ रुपये की नई योजनाएं घोषित कर माहौल अपने पक्ष में मोड़ लिया. उनके अनुसार, अचानक आई इन घोषणाओं ने ग्रामीण इलाकों में चुनाव को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि महिलाओं को दी गई नकद राशि ने वोटिंग पैटर्न पर सबसे बड़ा असर डाला, जिससे जेडीयू को अपेक्षा से कहीं ज्यादा सीटें मिल गईं.

जन सुराज को शून्य सीट

हालांकि जन सुराज पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी, लेकिन उसे वोट शेयर के मामले में कई स्थापित दलों से अधिक समर्थन मिला. पार्टी को 3.4% वोट मिले, जो बसपा, आईआईपी, सीपीएम, सीपीआई-एमएल और एआईएमआईएम से अधिक है. हालांकि, यह बढ़त इसलिए दिखी क्योंकि पार्टी 238 सीटों पर चुनाव लड़ रही थी. इनमें से 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, लेकिन कुछ सीटों पर प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा.

कहां-कहां कैसे रहा जन सुराज उम्मीदवारों का प्रदर्शन

जन सुराज उम्मीदवार 1 सीट पर दूसरे नंबर पर, 129 सीटों पर तीसरे, 73 पर चौथे और कई सीटों पर पांचवें से दसवें नंबर तक रहे. पीके ने कहा कि भले ही पार्टी सीट न जीत सकी हो, लेकिन इस चुनाव ने उनकी राजनीति की दिशा और जनता के मूड, दोनों को समझने में बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में वह और अधिक मेहनत करेंगे और बिहार की जनता के बीच बने रहेंगे.