Bihar Education Scheme: नीतीश सरकार की नई योजना, बिहार के स्कूलों में 1 करोड़ से ज्यादा बच्चों को AI की शिक्षा
नीतीश सरकार ने कक्षा 6 से 12 तक के एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल स्किल्स सिखाने की योजना बनाई है. बिहार सरकार का दावा है कि इस पहल से ग्रामीण और शहरी बच्चों को समान अवसर मिलेंगे और वे भविष्य की नौकरियों के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे.
Nitish Kumar Education Scheme: नीतीश सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए घोषणा की है कि कक्षा 6 से लेकर 12 तक के एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI और डिजिटल स्किल्स सिखाई जाएंगी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में शिक्षा विभाग ने इस महत्वाकांक्षी योजना की तैयारी पूरी कर ली है. इसके लिए जल्द ही एडोब कंपनी के डिजिटल एजुकेशन प्रोग्राम के साथ समझौता किया जाएगा. यह योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होगी और पूरे बिहार के सरकारी स्कूलों में 2026-27 तक लागू कर दी जाएगी.
इस योजना के तहत विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्यूटर स्किल्स, क्रिएटिव थिंकिंग, डेटा एनालिसिस और प्रॉब्लम-सॉल्विंग जैसी क्षमताओं से लैस किया जाएगा. एडोब के डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए इंटरैक्टिव लर्निंग होगी, जिसमें विजुअल, ऑडियो और मल्टीमीडिया कंटेंट शामिल होगा. शिक्षा विभाग का लक्ष्य है कि बच्चे पैटर्न पहचानने, डेटा का विश्लेषण करने और भविष्य की संभावनाओं का अनुमान लगाने में सक्षम बनें.
कब और कैसे होगी शुरुआत
इस योजना को 2025-26 सत्र से शिक्षा विभाग ने कुछ स्कूलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने का फैसला लिया है. इसके बाद यह पहल पूरे राज्य के मिडल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में 2026-27 तक फैला दी जाएगी. इसके लिए शिक्षकों और छात्रों दोनों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इससे पहले ‘उन्नयन मॉडल’ के तहत राज्य के 6,000 स्कूलों में 28 लाख बच्चों को 3D मल्टीमीडिया शिक्षा दी गई थी. सरकार का कहना है कि उसी मॉडल को अब और बड़े पैमाने पर लागू किया जा रहा है.
ग्रामीण और शहरी बच्चों को मिलेगा समान अवसर
नीतीश सरकार का दावा है कि यह योजना बिहार के बच्चों को भविष्य की नौकरियों और करियर के लिए तैयार करेगी. गांवों में पढ़ने वाले छात्र भी अब डिजिटल स्किल्स सीखकर प्रतिस्पर्धा में पीछे नहीं रहेंगे. एक अधिकारी ने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि गांव के बच्चे भी कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को उतनी ही सहजता से सीखें, जितना शहरों के छात्र सीखते हैं. सरकार का मानना है कि यह कदम बिहार की नई पीढ़ी को सशक्त बनाने और उन्हें तकनीकी युग के साथ कदम से कदम मिलाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा.
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