menu-icon
India Daily

बिहार चुनाव: मतदान से पहले बीजेपी की बड़ी 'जीत', 10 सीटों पर विपक्ष को दी पटखनी!

बीजेपी ने चुनाव से पहले रणनीतिक तरीके से अपने असंतुष्ट नेताओं को मना लिया है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इन 10 सीटों पर बगावत थमने से एनडीए को राहत मिली है और अब वह चुनावी मुकाबले में एकजुट होकर उतर सकेगा.

auth-image
Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
BJP Bihar India Daily
Courtesy: Social Media

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने कई अंदरूनी विवादों को सुलझा लिया है. पार्टी ने आखिरी समय में उन 10 बागियों को मना लिया है, जिन्होंने टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. इनमें 8 सीटें बीजेपी की हैं, जबकि 2 सीटें उसके सहयोगी दल जेडीयू के खाते में हैं.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर इन बागियों को मनाया न जाता, तो एनडीए का समीकरण गड़बड़ा सकता था. बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों में बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत होती है. 2020 के चुनाव में एनडीए को 126 सीटों पर जीत मिली थी. इसलिए हर सीट इस बार और भी अहम हो गई है.

1. अलीनगर (दरभंगा)

यहां बीजेपी ने मिश्रीलाल यादव की जगह मैथिली ठाकुर को टिकट दिया, जिससे नाराज संजय सिंह ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया. लेकिन हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद संजय मान गए और अब मैथिली ठाकुर के लिए प्रचार कर रहे हैं.

2. बरौली (गोपालगंज)

2020 में बीजेपी के रामप्रवेश राय विधायक बने थे, लेकिन इस बार सीट जेडीयू को मिली. मंजीत सिंह के उम्मीदवार बनने पर राय ने बगावत की, पर एनडीए नेतृत्व के प्रयासों से वे मान गए. अब यह सीट एनडीए के लिए सुरक्षित मानी जा रही है.

3. राजनगर (मधुबनी)

यहां बीजेपी ने रामप्रीत पासवान की जगह सुजीत पासवान को टिकट दिया. रामप्रीत ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, लेकिन पार्टी ने समय रहते उन्हें मना लिया. अब मुकाबला बीजेपी और आरजेडी के बीच सीमित है.

4. गोपालगंज

2020 में सुभाष सिंह की जीत के बाद उनके निधन पर उपचुनाव में उनकी पत्नी कुसुम देवी को टिकट मिला था. इस बार पार्टी ने सुभाष सिंह के बेटे के बजाय एक नए चेहरे को उम्मीदवार बनाया, जिससे नाराज अनिकेत सिंह ने बगावत की. लेकिन नेताओं के समझाने पर उन्होंने नामांकन वापस ले लिया.

5. नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण)

बीजेपी ने रश्मि वर्मा का टिकट काटकर संजय पांडे को उम्मीदवार बनाया. रश्मि ने निर्दलीय लड़ने की चेतावनी दी, पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल के दखल के बाद मामला सुलझ गया.

6. बक्सर

यहां बीजेपी ने आईपीएस आनंद मिश्रा को मैदान में उतारा, जिससे अमेरेंद्र पांडे नाराज होकर बागी हो गए थे. लेकिन पार्टी ने समय रहते उन्हें भी मना लिया. अब बक्सर में बीजेपी की सीधी लड़ाई कांग्रेस के मुन्ना तिवारी से है.

7. पटना साहिब

नंदकिशोर यादव का टिकट कटने पर महापौर सीता साहू के बेटे शिशिर ने निर्दलीय नामांकन की तैयारी की थी. लेकिन पार्टी ने उन्हें मना लिया और अब वे बीजेपी प्रत्याशी रत्नेश्वर कुशवाहा के लिए प्रचार कर रहे हैं.

8. तारापुर (मुंगेर)

यह सीट वीआईपी से जुड़ी थी, लेकिन उम्मीदवार घोषित होते ही सकलदेव बिंद बीजेपी के पाले में आ गए. अब वे सम्राट चौधरी के समर्थन में कैंप कर रहे हैं.

9. भागलपुर

यहां बीजेपी ने रोहित पांडे को टिकट दिया. इससे नाराज अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे ने बगावत की थी, लेकिन बाद में बिना पर्चा भरे ही वापस लौट आए. अब यह सीट बीजेपी बनाम कांग्रेस की सीधी लड़ाई है.

10. अमरपुर (बांका)

यह सीट जेडीयू के खाते में है, जहां जयंत राज कुशवाहा उम्मीदवार हैं. उनके खिलाफ बागी हुए मृणाल शेखर को बीजेपी ने मना लिया और अब वे एनडीए प्रत्याशी के लिए प्रचार कर रहे हैं.