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India Daily

बिहार में हार की तेजस्वी ने ली जिम्मेदारी, पद छोड़ने की पेशकश पर पिता लालू प्रसाद यादव की क्या थी प्रतिक्रिया?

बिहार में आरजेडी की बैठक में तेजस्वी यादव ने भावुक होकर कहा कि विधायकों को नया नेता चुनने की आजादी है, लेकिन लालू प्रसाद ने तुरंत साफ किया कि नेतृत्व तेजस्वी ही करेंगे.

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Edited By: Km Jaya
RJD Meeting India daily
Courtesy: @GarimaBharti19 X account

पटना: बिहार की राजनीति में सोमवार का दिन काफी भावुक और हलचल भरा रहा. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने पार्टी विधायकों की बैठक में सभी को यह कहकर चौंका दिया कि यदि वे चाहें तो किसी और को विधायक दल का नेता चुन सकते हैं. तेजस्वी अपनी बहन रोहिणी के आरोपों और भाई तेज प्रताप के हमलों से पहले ही भावनात्मक रूप से परेशान बताए जा रहे थे. 

बैठक में मौजूद एक विधायक के अनुसार तेजस्वी ने कहा कि वे चाहें तो नया नेता चुन लें. तेजस्वी की यह बात सुनते ही आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तुरंत दखल दिया और कहा कि तेजस्वी ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे. लालू ने साफ कहा कि तेजस्वी को ही विधायक दल का नेता बने रहना चाहिए और वे पार्टी का भविष्य हैं. 

RJD विधायकों ने क्या लिया फैसला?

इसके बाद नव निर्वाचित आरजेडी विधायकों ने सर्वसम्मति से तेजस्वी को फिर से अपना नेता चुन लिया. बैठक में लालू प्रसाद के साथ राबड़ी देवी और सांसद मीसा भारती भी मौजूद थीं. इतना ही नहीं, हाल के विवादों के केंद्र में रहे संजय यादव भी बैठक में शामिल हुए. तेजस्वी ने बैठक के दौरान यह भी कहा कि उन्हें टिकट देने और रोकने के लिए दबाव डाला गया था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया. 

ईवीएम पर क्यों उठे सवाल?

उन्होंने इशारों में कहा कि उन्हें यह तय करने में परेशानी हुई कि वे परिवार को देखें या पार्टी को. बैठक में चुनाव परिणामों की समीक्षा भी की गई. कई सीटें बहुत कम अंतर से हारने पर विशेष चर्चा हुई. वरिष्ठ आरजेडी नेता जगदानंद सिंह ने खराब प्रदर्शन के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि जब तक मशीनें रहेंगी, लोकतंत्र का मजाक बनता रहेगा. 

बैलेट पेपर पर चुनाव की क्यों उठी मांग?

आरजेडी विधायक भाई बिरेंद्र ने भी यही आरोप दोहराते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की. आरजेडी इस चुनाव में 143 सीटों पर लड़ी थी और केवल 25 सीटों पर जीत हासिल कर सकी. यह प्रदर्शन पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि 2020 के चुनाव में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. इस बार तीसरे स्थान पर पहुंच जाने से पार्टी के अंदर की नाराजगी खुलकर सामने आई है.