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Bihar Elections 2025: चुनाव आयोग ने हटाई डिजिटल वोटर लिस्ट, अपलोड किया नया फॉरमेट; क्या राहुल गांधी के आरोपों से डरा EC?

बिहार चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग ने डिजिटल वोटर लिस्ट हटाकर स्कैन इमेज फॉर्मेट में लिस्ट जारी की है. यह फैसला राहुल गांधी के आरोपों के बाद आया, जिनका कहना है कि डिजिटल लिस्ट से फर्जी वोटर्स का पर्दाफाश हो सकता था, जो कथित तौर पर बीजेपी को फायदा पहुंचाते हैं.

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Princy Sharma

Bihar Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग के एक बड़े फैसले ने सियासी माहौल गरमा दिया है. चुनाव आयोग ने अब डिजिटल मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट की जगह स्कैन की गई इमेज कॉपी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है. यह बदलाव ठीक उस वक्त आया है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे.

राहुल गांधी ने दावा किया था कि आयोग जानबूझकर डिजिटल वोटर लिस्ट साझा नहीं कर रहा क्योंकि इससे फर्जी और संदिग्ध मतदाताओं की पोल खुल सकती है, जो बीजेपी के पक्ष में वोटिंग में इस्तेमाल हो सकते हैं. उन्होंने इस मुद्दे को लेकर आयोग की निष्पक्षता पर भी सवाल खड़े किए.

किन लोगों के हटाए गए नाम?

इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत 1 अगस्त को हुई, जब बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण के पहले चरण के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की गई. इस लिस्ट में 65 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम हटाए गए, जिनमें मृतक, दोबारा नामांकित और स्थायी रूप से स्थानांतरित लोग शामिल थे.

स्कैन की गई तस्वीरें अपलोड 

पहले, मतदाता सेवा पोर्टल पर डिजिटल फॉर्मेट में वोटर लिस्ट मिलती थी जिसे सर्च करना और डेटा निकालना आसान होता था. लेकिन 6 अगस्त को आयोग ने इस डिजिटल लिस्ट को हटा दिया और उसकी जगह स्कैन की गई तस्वीरें अपलोड कर दीं. इन फाइलों को न तो खोजा जा सकता है, न ही उनसे आसानी से डेटा निकाला जा सकता है. साथ ही, ये फाइलें पांच गुना बड़ी हैं, कम रिजॉल्यूशन वाली हैं और इनमें डेटा एरर की संभावना भी अधिक है.

अब वोटर लिस्ट बिहार SIR ड्राफ्ट रोल 2025 नाम की वेबसाइट पर विधानसभा क्षेत्रवार जिप फाइलों के रूप में दी गई है. हर जिप फाइल में उस क्षेत्र की सभी स्कैन की गई वोटर लिस्ट की इमेज फॉर्मेट में प्रतियां हैं.

इस कदम ने पारदर्शिता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. क्या चुनाव आयोग दबाव में आकर डिजिटल वोटर लिस्ट हटाई? क्या यह बदलाव मतदाता सूची की जांच को मुश्किल बनाने के लिए है? फिलहाल इस पर आयोग की ओर से कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है, लेकिन विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है.