पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे राजनीतिक समीकरणों को नए सिरे से लिखते दिख रहे हैं. चुनाव शुरू होने से पहले ऐसा माहौल बन चुका था कि तेजस्वी यादव इस बार मजबूत दावेदार साबित होंगे और पुरानी राजनीतिक धारणाओं को बदल देंगे. लेकिन जैसे-जैसे रुझान सामने आए, तस्वीर पूरी तरह उलट गई. आरजेडी, जिसने 15 साल बाद इतने बड़े उत्साह के साथ चुनाव लड़ा था, इस बार रिकॉर्डतोड़ हार का सामना करती नजर आ रही है. सीटों के लिहाज से तीसरे नंबर पर खिसक चुकी पार्टी, वोट शेयर में हालांकि अब भी शीर्ष पर बनी हुई है.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध रुझानों के अनुसार, बीजेपी 92 सीटों के साथ सबसे आगे है. इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू 83 सीटों पर मजबूत स्थिति में दिखाई दे रही है. तेजस्वी यादव की आरजेडी सिर्फ 26 सीटों पर सिमटती दिख रही है, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 19 सीटों तक पहुंचती नजर आ रही है. कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद निराशाजनक रहा, क्योंकि वह सिर्फ 5 सीटों पर सिमटती दिख रही है.
सीटों में पिछड़ने के बावजूद वोट शेयर की तस्वीर अलग है. आरजेडी 22.81% वोट के साथ नंबर वन पर है. इसके बाद बीजेपी को 20.52% और जेडीयू को 18.98% वोट मिले हैं. यह आंकड़ा बताता है कि तेजस्वी यादव की लोकप्रियता वोट प्रतिशत में झलकती है, लेकिन यह समर्थन सीटों में नहीं बदल सका. कांग्रेस को 8.75% और लोजपा (रामविलास) को 5.03% वोट मिले हैं.
एनडीए की ओर से बीजेपी और जेडीयू दोनों ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा. लोजपा (रामविलास) ने 29, हम (सेक्युलर) ने 6 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा ने भी 6 सीटों पर दमखम दिखाया. वहीं महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने 143 सीटों पर बड़ा दांव लगाया, कांग्रेस 61 सीटों पर उतरी और वीआईपी ने 15 सीटों पर मुकाबला किया.
सबसे बड़ा सवाल यही है कि वोट प्रतिशत में सबसे आगे रहकर भी आरजेडी सीटों में क्यों पिछड़ गई? इसके पीछे कई कारण सामने आते हैं—
तेजस्वी यादव को भले ही वोटों में बढ़त मिली हो, लेकिन सीटों की राजनीति में उनकी रणनीति मात खा गई.