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Bihar election 2025: एनडीए की बड़ी रणनीति, 150 नेताओं को दी प्रवासी मतदाताओं से संपर्क की जिम्मेदारी

Bihar election 2025: बिहार चुनाव से पहले एनडीए ने 150 नेताओं को देशभर में फैले प्रवासी बिहारियों से संपर्क करने की जिम्मेदारी दी है. उनका मकसद इन मतदाताओं को समय पर बिहार लौटकर वोट डालने के लिए तैयार करना है. एक विस्तृत डेटा बेस तैयार किया जा रहा है, जिसे ऐप पर अपलोड कर अगस्त तक कॉलिंग शुरू की जाएगी.

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Edited By: Km Jaya
Migrant voters
Courtesy: Social Media

Bihar election 2025: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए यानी भाजपा गठबंधन ने बड़ी रणनीतिक तैयारी शुरू कर दी है. गठबंधन ने राज्य के करीब 150 नेताओं की पहचान की है, जिन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले प्रवासी बिहारियों से संपर्क करने की जिम्मेदारी दी गई है. इन नेताओं को प्रवासी मतदाताओं को वोटिंग के समय बिहार लौटने के लिए प्रेरित करना होगा.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बताया कि पार्टी को भरोसा है कि यह रणनीति वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने और भाजपा को सीधा लाभ दिलाने में मदद करेगी. इस योजना के तहत 28 राज्यों में पहले ही प्रभारियों की नियुक्ति कर दी गई है जो वहां रह रहे बिहारियों से सीधे संवाद स्थापित करेंगे.

क्या है पार्टी का उद्देश्य?

नेताओं को कहा गया है कि वे संबंधित जिलों और शहरों में जाकर प्रवासी मतदाताओं से व्यक्तिगत रूप से मिलें और उन्हें मतदान के लिए घर लौटने का आग्रह करें. इसके पीछे पार्टी का उद्देश्य यह है कि जो बिहारी मतदाता बाहर रह रहे हैं, वे घर लौटकर एनडीए के पक्ष में मतदान करें.

प्रवासी मतदाताओं की मांगी जानकारी

इस योजना के दूसरे चरण में प्रवासी मतदाताओं की विस्तृत जानकारी एकत्र की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नेताओं को 'आम बिहारी प्रवासियों की जानकारी' नाम से एक 14-सूत्रीय प्रश्नावली दी गई है. इसमें नाम, फोन नंबर, पता, पेशा, सामाजिक वर्ग, विधानसभा क्षेत्र, मूल जिला, पार्टी समर्थन की प्रवृत्ति और घर में उनकी चुनावी प्रभावशीलता जैसी जानकारी मांगी गई है.

डिजिटल रूप से एक ऐप पर अपलोड 

इस डेटा को एकत्र कर डिजिटल रूप से एक ऐप पर अपलोड किया जाएगा. अगस्त तक यह प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है. इसके बाद पार्टी द्वारा इन मतदाताओं को कॉल करके यह जानने की योजना है कि वे वोट डालने के लिए बिहार लौटेंगे या नहीं. यह डेटा चुनावी रणनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है, क्योंकि बड़ी संख्या में बिहार से बाहर काम कर रहे लोगों का वोट किसी भी सीट पर परिणाम को प्रभावित कर सकता है.