Bihar Chunav: बिहार में चुनावी मौसम जैसे-जैसे करीब आ रहा है, सियासी पारा भी चढ़ता जा रहा है. इस बार मुद्दा बना है पेंशन को लेकर लिया गया बड़ा फैसला, जिसे नीतीश सरकार ने “ऐतिहासिक” बताया है. वहीं विपक्ष खासकर तेजस्वी यादव इसे "चोरी किया हुआ आइडिया" कह रहे हैं.
दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुजुर्गों और दिव्यांगजनों को मिलने वाली सामाजिक पेंशन राशि को 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दिया है. इस फैसले का सीधा फायदा राज्य के 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को होगा. लेकिन इस ऐलान के साथ ही सियासी संग्राम शुरू हो गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जुलाई से हर महीने की 10 तारीख को नई पेंशन राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में आएगी. इसे महिला संवाद के तहत लोगों की मांगों के आधार पर लिया गया फैसला बताया गया.
विजय सिन्हा ने कहा कि ये फैसला बिहार की डबल इंजन सरकार की लोगों के लिए संवेदनशीलता को दिखाता है. उन्होंने इसे विकास की नई रफ्तार बताया.
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर तंज कसा और कहा कि यह फैसला उन्हीं की नीतियों की नकल है. उन्होंने कहा कि ये उनकी योजनाओं की कॉपी है जिसे सरकार दबाव में आकर लागू कर रही है.
मृत्यंजय तिवारी ने कहा कि यह तेजस्वी यादव की सोच और लगातार दबाव का नतीजा है. उन्होंने दावा किया कि आरजेडी सरकार बनाती तो पेंशन 1500 रुपये की होती.
जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि विपक्ष सिर्फ वादे करता है, जबकि नीतीश कुमार ने बिना शोर-शराबे के ऐतिहासिक फैसला लिया है जो सीधे आम जनता को राहत देगा.
बिहार में पेंशन की राशि बढ़ाने को लेकर एक ओर जहां लोगों को सीधी राहत मिल रही है, वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक दलों में इसका श्रेय लेने की होड़ भी तेज हो गई है. चुनावी माहौल में इस फैसले का कितना असर पड़ेगा, ये तो वक्त बताएगा, लेकिन अभी के लिए बहस तेज है कि पेंशन बढ़ी या पॉलिटिक्स?