बिहार विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही बिहार में एक बार फिर जॉब की बहार है. नीतीश कुमार की सरकार ने गुरुवार को सरकारी विभागों में 2.8 लाख रिक्तियों के लिए विज्ञापन निकाला. कहा जा रहा है कि 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से नीतीश सरकार अपनी सबसे बड़ी भर्ती प्रक्रिया की ओर आगे बढ़ रही है. नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को उम्मीद है कि अगर सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ तो नीतीशसरकार मौजूद पांच साल के कार्यकाल में ही पांच लाख रिक्तियों को भरने का श्रेय लेगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2005 में पहली बार सीएम बनने के समय से गिनती की जाए तो जॉब देने की संख्या 10 लाख हो जाएगी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीतीश सरकार की ओर से जॉब्स के नए विज्ञापन के बाद सबसे ज्यादा नौकरियां देने का श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव नौकरी के वादे और उपमुख्यमंत्री के तौर पर अपने 17 महीने के रिकॉर्ड से ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. तेजस्वी तब से कह रहे हैं कि नौकरियों पर नीतीश सरकार का ध्यान उनका विचार था और जेडी(यू) सुप्रीमो ने रिक्तियों को भरने के लिए उनके दबाव के आगे घुटने टेक दिए थे.
कहा जा रहा है कि तेजस्वी के दावे को लेकर बिहार सरकार की ओर से नई भर्तियों की घोषणा जदयू का जवाब है. इस साल के लोकसभा चुनावों में राजद नेता ने बार-बार कहा और दावा किया कि उपमुख्यमंत्री के रूप में उन्हें मिले 17 महीनों में उन्होंने तीन लाख रिक्तियों को भरा था और अगर वे अपना कार्यकाल पूरा करते तो और भी अधिक काम कर सकते थे. हालांकि, लोकसभा चुनाव में राजद ने उम्मीद के मुताबिक अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और बिहार की 40 में से केवल चार सीटें ही जीत पाई, लेकिन नौकरी के वादे के कारण युवाओं के बीच तेजस्वी की लोकप्रियता बनी हुई है.
बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 2.8 लाख नौकरियों के लिए रिक्तियों की सूची जारी की, जिन्हें जल्द से जल्द भरा जाना है. इनमें से 1.39 लाख रिक्तियां अकेले शिक्षा विभाग में हैं. ये विभाग पिछले तीन सालों में सबसे बड़ा नियोक्ता रहा है, जिसमें 2.5 लाख से ज़्यादा नए कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है.
गुरुवार के विज्ञापन के अनुसार अगला बड़ा नियोक्ता गृह विभाग होगा, जिसमें 22,730 रिक्तियां होंगी, जिनमें कांस्टेबल के 21,391 पद शामिल हैं. फिर स्वास्थ्य विभाग में 12,169 रिक्तियां होंगी. जल संसाधन विभाग में 4,939 रिक्तियां होंगी और पंचायती राज विभाग में 4,070 रिक्तियां होंगी. इसके अलावा, विभिन्न आयोगों, बोर्डों और निगमों के लिए 11,783 पदों के लिए विज्ञापन दिया गया है.
पिछली दो बड़ी नियुक्तियां 2020 और 2022 के बीच हुई थीं, जब लगभग 2.5 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी. ये नीतीश के लंबे शासनकाल में सबसे बड़ी नियुक्तियां हैं.संयोग से, हाल ही में सीएम नीतीश की तस्वीर सामने आई थी जिसमें वे राज्य के डीजीपी आलोक राज के सामने हाथ जोड़कर उनसे जल्द से जल्द सब-इंस्पेक्टर और कांस्टेबल के रिक्त पदों को भरने का अनुरोध कर रहे थे.
तेजस्वी ने एक्स पर लिखा था कि ये एक असहाय, अक्षम और कमज़ोर मुख्यमंत्री की निशानी है कि वे जनहित के काम करवाने के लिए अपने अधिकारियों के सामने हाथ जोड़े रहते हैं. मुख्यमंत्री के आचरण से पता चलता है कि राज्य में शासन नहीं है. एक गिड़गिड़ाता हुआ मुख्यमंत्री लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अच्छा संकेत नहीं है.
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि नीतीश की चालें काम नहीं आएंगी. नौकरी पैदा करने का पूरा आइडिया तेजस्वी प्रसाद यादव का है. वही सीएम कहते थे कि सरकारी रिक्तियों को भरने के लिए फंड नहीं है. अब नीतीश कुमार पर काम करने का दबाव है. हमें खुशी है कि नौकरियां दी जा रही हैं. तिवारी ने कहा कि जैसा कि तेजस्वी कह रहे हैं, अगर 2025 में राजद सरकार सत्ता में आई तो वह न केवल अधिक नौकरियां सुनिश्चित करेगी बल्कि बिजली बिल माफ भी करेगी.
वहीं, जेडी(यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि बिहार शासन मॉडल को व्यापक मान्यता मिली है. बिहार की कुछ पहलों को केंद्र ने भी दोहराया है. नीतीश कुमार अपने ट्रेंडसेटिंग विचारों के लिए एक वैश्विक हस्ती बन गए हैं. अगर कोई सोचता है कि उन्होंने किसी की नकल की है, तो वह बहुत बड़ी गलतफहमी में है.