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बिहार विधानसभा चुनाव दो से तीन चरणों में होने की संभावना, दीवाली-छठ को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा कार्यक्रम

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस महीने के अंत में तैयारियों की समीक्षा के लिए बिहार का दौरा करेंगे. इस बीच, बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) सहित चुनाव अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में सटीकता सुनिश्चित की जा सके.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Bihar assembly elections
Courtesy: Social Media

बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव दो से तीन चरणों में कराए जा सकते हैं. सूत्रों ने बताया कि दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहारों को ध्यान में रखते हुए चुनाव कार्यक्रम की योजना बनाई जा सकती है. बिहार विधानसभा का मौजूदा कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को खत्म हो रहा है और उससे पहले चुनाव प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए. पिछले दो चुनावों में भी बिहार में कई चरणों में मतदान हुआ था. 2020 में मतदान तीन चरणों में हुआ  28 अक्टूबर को 71 सीटों पर 3 नवंबर को 94 सीटों पर और 7 नवंबर को 78 सीटों पर - 10 नवंबर को नतीजे घोषित किए गए. 2015 में, चुनाव पांच चरणों में हुए थे.

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस महीने के अंत में तैयारियों की समीक्षा के लिए बिहार का दौरा करेंगे. इस बीच, बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) सहित चुनाव अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में सटीकता सुनिश्चित की जा सके. आयोग का उद्देश्य महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली में मतदाता सूची को लेकर सामने आए आरोपों से बचना है.

पारदर्शिता बनाए रखने के लिए आयोग ने कहा है कि 6 से 10 जनवरी 2025 के बीच बिहार, हरियाणा और दिल्ली में अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के बाद कोई अपील दायर नहीं की गई. सभी बीएलओ को घर-घर जाकर मतदाता विवरण सत्यापित करने के लिए पहचान पत्र जारी किए जाएंगे. 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके पहली बार मतदाता बनने वालों के नाम जोड़ने के लिए एक विशेष अभियान भी चलाया जाएगा.

चुनाव प्रबंधन को कारगर बनाने के लिए चुनाव आयोग एक सिंगल-पॉइंट ऐप ECINET, एक एकीकृत डिजिटल डैशबोर्ड पेश कर रहा है जो पहले 40 अलग-अलग ऐप और वेबसाइट का उपयोग करने की आवश्यकता को समाप्त कर देगा. बिहार चुनाव तक इस प्रणाली के पूरी तरह से चालू हो जाने की उम्मीद है.

अतीत की चिंताओं को दूर करने के लिए कई उपाय लागू किए जा रहे हैं. डुप्लीकेट इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिफिकेशन कार्ड (ईपीआईसी) नंबरों को समाप्त कर दिया गया है और अब मतदाता सूचियों को भारत के महापंजीयक के मृत्यु रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा ताकि मृतक मतदाताओं के नाम हटाए जा सकें.