Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों ने अब रफ्तार पकड़ ली है. पहले चरण के मतदान को लेकर 18 जिलों में EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) और VVPAT (वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल) का आवंटन कर दिया गया है.
चुनाव आयोग के निर्देश पर शनिवार को इन जिलों में पहले चरण से संबंधित सभी 121 विधानसभा क्षेत्रों के लिए प्रथम रेंडमाइजेशन की प्रक्रिया पूरी की गई. यह प्रक्रिया जिला निर्वाचन पदाधिकारी (डीएम) की देखरेख में की गई, जिसमें राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय मान्यता प्राप्त सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे.
रेंडमाइजेशन यानी मशीनों का यादृच्छिक (random) चयन एक पारदर्शी प्रक्रिया है, ताकि चुनाव निष्पक्ष तरीके से हो सके. रेंडमाइजेशन के बाद ईवीएम और वीवीपैट की जो लिस्ट बनी, उस पर डीएम और दलों के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए. यह सूची अब सभी दलों के जिला कार्यालयों में उपलब्ध करा दी गई है. इसी सूची के आधार पर ही इन मशीनों को संबंधित विधानसभा क्षेत्रों के चुनाव पदाधिकारियों को सौंपा जाएगा और बाद में उन्हें स्ट्रॉन्ग रूम में सुरक्षित रखा जाएगा.
जब उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी हो जाएगी, तब इन्हीं चुनी गई मशीनों की जानकारी उम्मीदवारों को भी दी जाएगी. इस पारदर्शिता का मकसद यह है कि हर उम्मीदवार और दल यह जान सके कि चुनाव में कौन सी मशीनें इस्तेमाल होने वाली हैं.
अब बात करें दूसरे चरण की, तो बची हुई 20 जिलों में 122 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 13 अक्टूबर को प्रथम चरण का रेंडमाइजेशन किया जाएगा. इन जिलों में पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर शामिल हैं.
पटना जिले की बात करें, तो यहां कुल 5,677 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. इन सभी केंद्रों पर ईवीएम और वीवीपैट का इस्तेमाल होगा. इसके लिए जरूरी 5,677 बैलट यूनिट (BU), 5,677 कंट्रोल यूनिट (CU) और 5,677 वीवीपैट मशीनें तैयार रखी गई हैं. साथ ही, आयोग के नियमों के अनुसार 20% रिजर्व ईवीएम और 30% रिजर्व वीवीपैट भी रखी गई हैं.
कुल जरूरत 6,808 बीयू, 6,808 सीयू और 7,374 वीवीपैट की होगी. राहत की बात यह है कि पटना जिले में इस जरूरत से कहीं ज्यादा मशीनें पहले से ही मौजूद हैं – 12,886 बीयू, 7,439 सीयू और 8,025 वीवीपैट. यह पूरी प्रक्रिया भारत निर्वाचन आयोग के ईएमएस सॉफ्टवेयर के जरिए की गई, जिसमें राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी से पारदर्शिता सुनिश्चित की गई. अब देखना होगा कि रेंडमाइजेशन के बाद किस क्षेत्र में कौन सी मशीनें भेजी गई हैं और कौन-कौन उम्मीदवार इन पर अपना भाग्य आजमाएंगे.