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रेसलर बजरंग पूनिया के पिता बलवान सिंह का निधन, शुक्रवार को झज्जर में होगा अंतिम संस्कार

ओलंपियन पहलवान और किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग पूनिया के पिता बलवान सिंह का गुरुवार शाम दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया. लंबे समय से बीमार चल रहे बलवान सिंह ने अपने बेटे को बचपन से ही पहलवानी सिखाई थी और उनके करियर की नींव रखी थी. अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह झज्जर के गांव खुड्डन में होगा.

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Kuldeep Sharma

हरियाणा के मशहूर पहलवान और टोक्यो ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पूनिया के पिता बलवान सिंह पूनिया का गुरुवार को निधन हो गया. 18 दिनों से दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में भर्ती बलवान सिंह दोनों फेफड़ों की खराबी से जूझ रहे थे.

बजरंग ने सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट लिखकर पिता को श्रद्धांजलि दी और बताया कि शुक्रवार को गांव खुड्डन (झज्जर) में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

पिता के मार्गदर्शन से बनी पहलवानी की नींव

बलवान सिंह खुद भी पहलवान रह चुके थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाए. यही वजह रही कि उन्होंने बचपन से ही बजरंग को अखाड़े में भेजना शुरू कर दिया. पिता की सख्त दिनचर्या और मेहनत ने ही बजरंग को अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाया. सात साल की उम्र में पहलवानी शुरू करने वाले बजरंग ने बाद में कई पदक जीतकर पिता के सपनों को साकार किया.

सादगी और सरल स्वभाव के लिए मशहूर थे बलवान सिंह

सोनीपत के मॉडल टाउन में रहने वाले बलवान सिंह का जीवन बेहद सादा था. वे रोज सुबह घर के बाहर कुर्सी पर बैठकर पड़ोसियों से बातचीत करते. पहनावे से लेकर स्वभाव तक में सादगी उनकी पहचान थी. यही कारण था कि मोहल्ले के लोग उन्हें बेहद सम्मान और अपनापन देते थे. उनकी सहजता और सरल स्वभाव ने सभी को प्रभावित किया.

बेटे के लिए प्रेरणा और परिवार की रीढ़

बजरंग ने सोशल मीडिया पर लिखा कि पिता उनके पूरे परिवार की रीढ़ थे. उनके जाने से परिवार के सामने एक गहरी खाली जगह बन गई है. पिता ने बड़ी मेहनत से उन्हें यहां तक पहुंचाया और हर कदम पर प्रेरित किया. बजरंग ने भावुक होकर कहा कि अब समझ नहीं आ रहा कि उनके बिना जीवन कैसा होगा.

शोक संदेश और संवेदनाएं

बलवान सिंह के निधन पर राजनीतिक और खेल जगत से संवेदनाएं जताई जा रही हैं. कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने ट्वीट कर दुख व्यक्त किया. उन्होंने लिखा कि यह खबर बेहद दुखद है और ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शांति और परिवार को इस कठिन समय में धैर्य मिले. गांव खुड्डन में शुक्रवार सुबह 11 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा, जहां बड़ी संख्या में लोग शामिल होने की संभावना है.