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India Daily

गरीब स्टूडेंट के लिए 'भगवान' बने ऋषभ पंत, कॉलेज फीस भरकर दिखाई दरियादिली

Rishabh Pant: भारतीय टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत चोट की वजह से इंग्लैंड के खिलाफ पांचवां टेस्ट मैच नहीं खेल सके थे. हालांकि, उन्होंने एक गरीब छात्रा की मदद कर सभी का दिल जीत लिया है.

Rishabh Pant
Courtesy: Social Media

Rishabh Pant: भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत ने अपनी दरियादिली से एक बार फिर सबका दिल जीत लिया है. मैदान पर अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग के लिए मशहूर पंत ने कर्नाटक के एक गरीब परिवार की बेटी की पढ़ाई का खर्च उठाकर एक मिसाल कायम की है. उनकी इस मदद ने न सिर्फ एक छात्रा का भविष्य संवारा, बल्कि समाज में नेकी का एक नया संदेश भी दिया.

कर्नाटक के बागलकोट जिले के रबकवी गांव की ज्योति कनाबुर मठ एक होनहार छात्रा हैं. उन्होंने अपनी प्री-यूनिवर्सिटी कोर्स (PUC) में 85 प्रतिशत अंक हासिल किए. ज्योति ने जामखंडी के बिजापुर लिंगायत एजुकेशन इंस्टीट्यूट में बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (BCA) कोर्स में दाखिला लिया लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनकी पढ़ाई का सपना अधूरा रहने का खतरा था. उनके पिता तीर्थय्या कनाबुर मठ कॉलेज की फीस नहीं भर पा रहे थे.

मदद के लिए आगे आए ऋषभ पंत

ज्योति के परिवार ने गांव के एक शुभचिंतक अनिल से मदद मांगी. अनिल ने अपने बेंगलुरु के दोस्त अक्षय से संपर्क किया और फिर यह बात भारतीय क्रिकेटर ऋषभ पंत तक पहुंची. पंत ने बिना देरी किए ज्योति की पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया. उन्होंने कॉलेज को 40,000 रुपये की फीस सीधे जमा कर दी, ताकि ज्योति की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए.

ज्योति का आभार और सपना

पंत की इस मदद से ज्योति और उनके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. ज्योति ने एक भावुक पत्र में पंत का आभार जताया. उन्होंने लिखा, "मैं ऋषभ पंत की बहुत आभारी हूं. उनकी मदद की वजह से मैं अपनी BCA की पढ़ाई पूरी कर सकूंगी. मैं एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहती हूं और भविष्य में गरीब बच्चों की मदद करना चाहती हूं." ज्योति ने अनिल और अक्षय को भी धन्यवाद दिया, जिनके प्रयासों से यह मदद संभव हो पाई.'

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का संदेश

ज्योति ने अपने पत्र में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का संदेश भी दिया. उन्होंने कहा कि वह इस अवसर का पूरा फायदा उठाएंगी और अपने सपनों को सच करेंगी. ज्योति की इस सोच और पंत की मदद ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया है कि शिक्षा हर बच्चे का हक है, और इसे पूरा करने के लिए सभी को आगे आना चाहिए.