भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह इंग्लैंड दौरे पर उनकी सीमित भागीदारी को लेकर आलोचकों के निशाने पर हैं. इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में बुमराह ने अपनी चोट और वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह केवल तीन टेस्ट मैच खेलेंगे. हालांकि, जब भारत सीरीज में 1-2 से पिछड़ रहा था, तब भी बुमराह पांचवें टेस्ट में नहीं उतरे. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने उन्हें बीच सीरीज में स्क्वॉड से रिलीज भी कर दिया.
बुमराह का यह निर्णय कई क्रिकेट विशेषज्ञों और प्रशंसकों को रास नहीं आया. कुछ का मानना है कि एक सीनियर खिलाड़ी होने के नाते उन्हें निर्णायक टेस्ट में टीम के साथ रहना चाहिए था. आलोचकों का कहना है कि बुमराह ने अपनी प्राथमिकताओं को राष्ट्रीय हित से ऊपर रखा, खासकर तब जब भारत को सीरीज में वापसी की सख्त जरूरत थी. सोशल मीडिया और क्रिकेट गलियारों में इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि क्या बुमराह का यह कदम स्वार्थी था या फिर उनके करियर और स्वास्थ्य के लिए जरूरी.
आकाश चोपड़ा की चेतावनी
पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज और क्रिकेट विशेषज्ञ आकाश चोपड़ा ने बुमराह की आलोचना पर चिंता जताते हुए एक बड़ा बयान दिया है. आकाश ने बुमराह को 'कोहिनूर हीरा' करार देते हुए कहा कि भारतीय क्रिकेट के लिए उनकी अहमियत को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने आगाह किया कि अगर बुमराह पर अनावश्यक दबाव बनाया गया या उनकी आलोचना का सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो वह समय से पहले संन्यास ले सकते हैं.
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वह ज्यादा टेस्ट क्रिकेट खेलेंगे, लेकिन जब तक वह खेलते हैं, मैं यही कहूंगा कि उन्हें टिके रहना चाहिए. बुमराह ने इंग्लैंड दौरे से पहले अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी. उन्होंने अपनी चोट के इतिहास और तेज गेंदबाज के रूप में भारी वर्कलोड को ध्यान में रखते हुए केवल तीन टेस्ट खेलने का फैसला किया था. बुमराह पहले भी चोटों से जूझ चुके हैं और लंबे समय तक मैदान से बाहर रह चुके हैं.