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India Daily

दिल्ली के माधव कामत ने वर्ल्ड यूथ स्क्रैबल चैम्पियनशिप जीत कर रचा इतिहास, ये कारनामा करने वाले पहले भारतीय बने

दिल्ली के 14 वर्षीय माधव गोपाल कामत ने इतिहास रचते हुए वर्ल्ड यूथ स्क्रैबल चैम्पियनशिप जीतने वाले पहले भारतीय का गौरव हासिल किया. मलेशिया में आयोजित इस प्रतियोगिता में उन्होंने 18 देशों के 218 खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए खिताब अपने नाम किया.

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Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: web

नई दिल्ली के संस्कृत‍ि स्कूल, चाणक्यपुरी के कक्षा 10 के छात्र माधव गोपाल कामत ने वर्ल्ड यूथ स्क्रैबल चैम्पियनशिप (WYSC) 2024 में शानदार प्रदर्शन कर भारत का नाम विश्व पटल पर रोशन किया. मात्र 14 साल की उम्र में उन्होंने यह उपलब्धि हासिल कर साबित किया कि कठिन परिश्रम और निरंतर अभ्यास से बड़ी से बड़ी चुनौती को भी जीता जा सकता है.

कुआलालंपुर में आयोजित 20वीं वर्ल्ड यूथ स्क्रैबल चैम्पियनशिप में माधव ने 24 में से 21 मुकाबले जीतकर खिताब अपने नाम किया. अंतिम राउंड में उन्होंने अपने खेल को ‘Bae’ शब्द के साथ समाप्त किया, जो केवल पांच अंक का था, लेकिन उनके लिए ऐतिहासिक जीत का प्रतीक बन गया. प्रतियोगिता का आयोजन वर्ल्ड इंग्लिश-लैंग्वेज स्क्रैबल प्लेयर्स एसोसिएशन (WESPA) ने किया था, जिसमें दुनियाभर के युवा खिलाड़ी शामिल हुए.

बचपन से शुरू हुआ सफर

माधव ने स्क्रैबल खेलना महज पांच साल की उम्र में अपने पिता और चाचा को खेलते देख शुरू किया था. धीरे-धीरे यह खेल उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गया और छह-सात साल की उम्र तक उन्होंने प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया. इससे पहले भी वे सात बार अंडर-18 टूर्नामेंट में खेल चुके हैं और दो बार उपविजेता रहे हैं. इस वर्ष की शुरुआत में वे मुंबई में आयोजित 25वीं नेशनल स्क्रैबल चैम्पियनशिप के सबसे कम उम्र के विजेता बने थे.

तैयारी और पढ़ाई का गहरा असर

माधव का कहना है कि स्क्रैबल सिर्फ शब्दों का खेल नहीं बल्कि दिमागी खेल है, ठीक वैसे ही जैसे शतरंज. वे रोज़ाना कम से कम एक घंटे अभ्यास करते हैं और इसके लिए ऐप्स और वेबसाइट्स का सहारा लेते हैं. उन्होंने बताया कि केवल शब्दकोश पढ़ना ही काफी नहीं होता बल्कि कठिन और असामान्य शब्दों को भी याद करना जरूरी है. साथ ही उनकी किताबें पढ़ने की आदत ने उन्हें शब्दों को समझने और उनका मूल्यांकन करने में मदद की.

भारत के लिए गर्व का पल

इस प्रतियोगिता में भारत से 11 और युवा खिलाड़ी भी शामिल हुए थे. इनमें बेंगलुरु के 15 वर्षीय सुयश मंचली ने पांचवां स्थान हासिल किया. स्क्रैबल एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हरविंदरजीत भाटिया ने माधव की जीत को भारतीय स्क्रैबल इतिहास का स्वर्णिम क्षण बताते हुए कहा कि यह भारत की बढ़ती वैश्विक पहचान को मजबूत करता है. माधव की यह उपलब्धि न केवल देश के लिए गर्व का विषय है, बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा है जो अपनी मेहनत से विश्व मंच पर छाप छोड़ना चाहते हैं.