Bengaluru Stampede: बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की IPL जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत और 50 से ज्यादा लोगों के घायल होने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया. इस मामले में कर्नाटक सरकार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को जिम्मेदार ठहराया है. सरकार ने हाई कोर्ट में दावा किया कि इस आयोजन के लिए कोई आधिकारिक अनुमति नहीं ली गई थी.
कर्नाटक हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई जस्टिस एसआर कृष्ण कुमार की एकल पीठ के सामने हुई. राज्य की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने RCB और BCCI पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि आयोजकों ने सोशल मीडिया के जरिए "पूरी दुनिया को" जश्न में शामिल होने का न्योता दे दिया, बिना यह स्पष्ट किए कि स्टेडियम में प्रवेश के लिए टिकट या पास जरूरी हैं.
एडवोकेट जनरल ने कोर्ट में दावा किया कि RCB और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) ने न तो विजय परेड और न ही स्टेडियम में आयोजित समारोह के लिए कोई आधिकारिक अनुमति ली थी. उन्होंने कहा, "आयोजकों ने अनुमति मांगने के बजाय सिर्फ सूचना दी कि वे विजय परेड आयोजित करेंगे." यह जानकारी 3 जून को RCB के फाइनल मैच शुरू होने से सिर्फ एक घंटे पहले दी गई थी.
शेट्टी ने यह भी बताया कि KSCA की ओर से केवल एक सूचना पत्र मिला था, न कि कोई औपचारिक अनुमति मांगने वाला आवेदन. उन्होंने इसे कानून का उल्लंघन बताया, क्योंकि परेड और आयोजन के लिए कम से कम सात दिन पहले अनुमति लेना अनिवार्य है.
कर्नाटक सरकार ने RCB पर कोर्ट को गुमराह करने का भी आरोप लगाया. शेट्टी ने कहा, "RCB ने कोर्ट में यह दिखाने की कोशिश की कि यह आयोजन सरकार द्वारा आयोजित था, लेकिन ऐसा नहीं था. यह RCB का निजी आयोजन था." उन्होंने RCB के सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र करते हुए कहा कि इन पोस्ट्स में सभी प्रशंसकों को बिना किसी टिकटिंग प्रोटोकॉल के जश्न में शामिल होने के लिए बुलाया गया, जिससे भारी अव्यवस्था और भगदड़ हुई.