menu-icon
India Daily

'ये फैसले कौन ले रहा है? गिल, अगरकर या...', कुलदीप यादव को बाहर बिठाकर क्या साबित करना चाहते है गंभीर?

अगर कुलदीप बिना एक भी टेस्ट खेले सीरीज़ खत्म कर देते हैं, तो यह शर्मनाक होगा, जिससे मांजरेकर को आश्चर्य हो रहा है कि फैसले कौन ले रहा है, खासकर भारत की प्लेइंग इलेवन चुनने में.

auth-image
Edited By: Gyanendra Sharma
IND vs ENG
Courtesy: Social Media

कुलदीप यादव इंग्लैंड के साथ जारी सीरीज में अब तक खेलने का मौका नहीं मिला है. भारत के इस कलाई के स्पिनर, जिन्हें पहले चार टेस्ट मैचों की प्लेइंग इलेवन में जगह नहीं मिली थी, पर सीरीज़ के निर्णायक पांचवें टेस्ट में भी यही हश्र होने का खतरा है, जो कल ओवल में शुरू हो रहा है. सरे क्रिकेट के घरेलू मैदान, लंदन के किआ ओवल में स्पिनरों को मदद मिलने का इतिहास रहा है, लेकिन टीम के दो मौजूदा स्पिनरों, रवींद्र जडेजा और वाशिंगटन सुंदर ने कुछ दिन पहले मैनचेस्टर में शानदार प्रदर्शन किया था और ऐसा लग रहा है कि कुछ ज़बरदस्त बदलावों को छोड़कर, भारत की टीम में कोई बदलाव नहीं होने की संभावना है.

संजय मांजरेकर कुलदीप को खेलते देखना चाहते हैं, लेकिन उनके सूत्रों के अनुसार, कलाई के इस स्पिनर को बेंच पर ही बैठना पड़ सकता है. शार्दुल ठाकुर की जगह कुलदीप को शामिल करने का केवल एक ही विकल्प था , लेकिन ओल्ड ट्रैफर्ड में एक भी विकेट न मिलने के बावजूद, उनकी 41 रनों की महत्वपूर्ण पारी ने भारत को पहली पारी में 358 रनों तक पहुंचाया. टीम में उपयोगी खिलाड़ियों को शामिल करने की गंभीर की चाहत को देखते हुए, शार्दुल को टीम में बनाए रखा जा सकता है, जिससे कुलदीप के लिए एक बार फिर कोई जगह नहीं बचेगी.

मांजरेकर ने की गंभीर की खिंचाई

मांजरेकर ने ईएसपीएनक्रिकइन्फो पर कहा, "कभी-कभी आपको लगता होगा कि आप बल्लेबाजों की बल्लेबाजी फॉर्म से प्रभावित हो जाते हैं क्योंकि किसने सोचा होगा कि वॉशिंगटन टेस्ट मैच में संभावित नंबर 5 हो सकते हैं? और जडेजा नंबर 6 पर, लगभग एक शुद्ध बल्लेबाज की तरह बल्लेबाजी करते हुए. लेकिन भारत को ऋषभ पंत के न होने के बावजूद अपने बल्लेबाजी क्रम पर भरोसा करना शुरू करना होगा. और कुलदीप यादव को वापस आना होगा. इस श्रृंखला में ऐसे कई क्षण आए हैं जब आपने सोचा होगा कि कुलदीप भारतीय गेंदबाजी आक्रमण का हिस्सा होंगे."

मांजरेकर ने कहा कि हमने उन पलों के बारे में बात की है जब भारत अंतर पैदा कर सकता था और मैच जीत सकता था. और यहीं पर कुलदीप यादव वाकई काम आ सकते थे. इसलिए, वह अंदर आए और शार्दुल ठाकुर बाहर बैठे. लेकिन मैं जो सुन रहा हूं, वह यह है. आप शार्दुल ठाकुर को खेलते हुए देख सकते हैं और यह बात उन लोगों की है जो भारतीय कोच को अच्छी तरह जानते हैं. 

अगर कुलदीप बिना एक भी टेस्ट खेले सीरीज़ खत्म कर देते हैं, तो यह शर्मनाक होगा, जिससे मांजरेकर को आश्चर्य हो रहा है कि फैसले कौन ले रहा है, खासकर भारत की प्लेइंग इलेवन चुनने में.  मांजरेकर ने खुलकर कहा कि वह गौतम गंभीर के उस सिद्धांत के पक्षधर नहीं हैं जिसमें उन गेंदबाज़ों को खिलाया जाता है जो बल्लेबाज़ी कर सकते हैं. इसके बजाय, मांजरेकर पुराने ढर्रे पर चलते हैं और ऐसे विशेषज्ञ गेंदबाज़ों की ज़रूरत पर ज़ोर देते हैं जो 20 विकेट लेकर मैच जिता सकें.

उन्होंने आगे कहा,  हमें कभी पता नहीं चलेगा कि प्लेइंग इलेवन चुनने का बड़ा फैसला असल में कौन ले रहा है. कप्तान है या कोच? चयन समिति के अध्यक्ष की भी अहम भूमिका होती है. लेकिन आपको कहना होगा कि गौतम गंभीर प्लेइंग इलेवन चुनने में सबसे मज़बूत आवाज़ उठा सकते हैं. क्योंकि हमने ऑस्ट्रेलिया में भी यही देखा था. कभी-कभी ऐसा होता है कि जब कोई चयन उल्टा पड़ जाता है, तो आप सबको गलत साबित करने के लिए एक खिलाड़ी को खिलाना जारी रखना चाहते हैं. मैं किसी को उसके दूसरे कौशल के आधार पर चुनने के इस तरीके से कभी सहमत नहीं रहा. अगर शार्दुल ठाकुर फिर से खेलते हैं, तो आप सोचेंगे कि शायद वह वाशिंगटन सुंदर जैसा प्रदर्शन करेंगे. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुलदीप यादव नहीं खेल रहे हैं.