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India Daily

पहले शतक को ही बनाया था तिहरा शतक, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व खिलाड़ी का 89 साल की उम्र में निधन, रणजी ट्रॉफी से भी है कनेक्शन

Bob Simpson: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज खिलाड़ी बॉब सिम्पसन का 89 साल की उम्र में निधन हो गया है. उन्होंने क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को आगे बढ़ाने के लिए कई अहम योगदान दिए. बॉब का भारत से भी गहरा नाता रहा है.

Bob Simpson
Courtesy: Social Media

Bob Simpson: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान और कोच बॉब सिम्पसन का 16 अगस्त 2025 को 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. सिम्पसन ने अपने शानदार क्रिकेट करियर और कोचिंग के जरिए ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. उनका रणजी ट्रॉफी से भी खास रिश्ता रहा. 

बता दें कि उन्होंने भारतीय टीम के साथ भी काम किया और सलाहकार के रूप में अहम भूमिका निभाई थी. इसके अलावा उन्होंने अपनी कोचिंग में ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट को नई दिशा दी और पहला वर्ल्ड कप उनकी ही कोचिंग में जीता था.

शानदार टेस्ट करियर और तिहरा शतक

बॉब सिम्पसन ने 1957 से 1978 तक 62 टेस्ट और दो वनडे मैच खेले. इस दौरान उन्होंने 4869 टेस्ट रन बनाए और 71 विकेट लिए. सिम्पसन ने 39 टेस्ट मैचों में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की, जिसमें से 12 में जीत हासिल हुई. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 1964 में इंग्लैंड के ओवल मैदान पर आई, जब उन्होंने अपने पहले टेस्ट शतक को तिहरे शतक (311 रन) में बदल दिया.

13 घंटे से ज्यादा की इस पारी ने कई रिकॉर्ड तोड़े. सिम्पसन टेस्ट क्रिकेट में तिहरा शतक बनाने वाले पहले कप्तान बने. उनका यह रिकॉर्ड 61 साल तक कायम रहा, जब तक जुलाई 2025 में साउथ अफ्रीका के वियान मुल्डर ने इसे तोड़ा.

संन्यास के बाद शानदार वापसी

1968 में संन्यास लेने के बाद सिम्पसन ने 1977 में 41 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में वापसी की. उस समय वर्ल्ड सीरीज क्रिकेट के कारण ऑस्ट्रेलियाई टीम मुश्किल में थी. सिम्पसन ने 10 और टेस्ट खेले, जिसमें दो शतक शामिल थे. 1977 में उनका औसत 52.83 और 1978 में 32.38 रहा. उनकी इस वापसी ने उन्हें और भी खास बना दिया.

रणजी ट्रॉफी और भारत से खास कनेक्शन

बॉब सिम्पसन का भारत से भी गहरा नाता रहा. उन्होंने 1990 के दशक में भारतीय क्रिकेट टीम के सलाहकार के रूप में काम किया. इसके अलावा, 2000 के दशक की शुरुआत में वह रणजी ट्रॉफी में राजस्थान क्रिकेट टीम के सलाहकार रहे. 

सिम्पसन का अनुभव भारतीय क्रिकेट के लिए भी फायदेमंद रहा. वह दो टाई टेस्ट मैचों का हिस्सा भी रहे, 1960 में वेस्टइंडीज के खिलाफ ब्रिस्बेन में बतौर खिलाड़ी और 1986 में भारत के खिलाफ चेन्नई में बतौर कोच.