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'बाल काटे, खून निकाला, प्यासी रही..', वजन कम करने के लिए विनेश फोगाट ने रात भर उठाए कैसे कदम?

Vinesh Phogat Struggle to Loose Weight: भारतीय कुश्ती की राइजिंग स्टार विनेश फोगाट के लिए पेरिस ओलंपिक का सफर एक दिल दहला देने वाले अंत पर पहुंचा. एक ऐसी खिलाड़ी, जिसने देश में महिला कुश्ती को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था, को वजन संबंधी एक तकनीकी खामी के कारण प्रतियोगिता से बाहर होना पड़ा. यह न केवल विनेश के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ा झटका था.

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Edited By: India Daily Live
Vinesh Phogat
Courtesy: IDL

Vinesh Phogat Struggle to Loose Weight: भारतीय कुश्ती की शान विनेश फोगाट के लिए पेरिस ओलंपिक का सफर एक ऐसा अध्याय है, जिसे शायद वह कभी नहीं भुला पाएंगी. एक ओर जहां उन्होंने देश के लिए पहली बार कुश्ती में ओलंपिक फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रचा, वहीं दूसरी ओर एक निर्णायक क्षण ने उनके सारे सपने धराशायी कर दिए. वह बुधवार को होने वाले ऐतिहासिक गोल्ड मेडल मुकाबले से कुछ घंटे पहले वजन बढ़ने के कारण अयोग्य घोषित कर दी गईं.

कुश्ती एक ऐसा खेल है जहां वजन का सख्त नियम होता है. एथलीट को निर्धारित वजन सीमा के भीतर रहना होता है. विनेश के लिए यह चुनौती और भी कठिन थी क्योंकि उनका प्राकृतिक वजन उनके प्रतिस्पर्धी वर्ग से अधिक है. इस वजह से उन्हें अपने शरीर पर कड़ी मेहनत करनी पड़ती है.

सिर्फ 100 ग्राम के चलते हुई डिस्क्वालिफाई

वजन कम करने की प्रक्रिया बेहद कठोर होती है. एथलीटों को अक्सर भूखे रहना पड़ता है, डिहाइड्रेटेड होना पड़ता है और कई बार तो बेहद कठोर कदम उठाने पड़ते हैं. विनेश के मामले में भी ऐसा ही हुआ. उनके कोचों ने उन्हें सोने नहीं दिया, उनका खून निकालने की कोशिश की, लेकिन सब कुछ व्यर्थ रहा.

ओलंपिक से कुछ घंटे पहले ही विनेश का वजन निर्धारित सीमा से 100 ग्राम अधिक पाया गया. यह एक छोटा सा अंतर लग सकता है, लेकिन खेल की दुनिया में यह एक बड़ी बाधा साबित हुआ. उन्हें न केवल गोल्ड मेडल से वंचित होना पड़ा, बल्कि उनके द्वारा जीते गए सभी मुकाबलों को भी रद्द कर दिया गया.

बिना पदक के वापस लौटेंगी फोगाट

वह रजत पदक भी नहीं जीत पाएंगी, जिसकी उन्हें फाइनल में पहुंचने के बाद गारंटी थी. यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के नियमों के अनुसार, "यदि कोई एथलीट वजन कम करने में विफल रहता है या उपस्थित नहीं होता है, तो उसे प्रतियोगिता से बाहर कर दिया जाएगा और उसे बिना रैंकिंग के अंतिम स्थान पर रखा जाएगा."

यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग के तकनीकी प्रतिनिधि ने कहा कि जापान की युई सुसाको और यूक्रेन की ओक्साना लिवच के बीच रिपेचेज राउंड अब कांस्य पदक मैच बन जाएगा. अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती नियमों के अनुच्छेद 11 के अनुसार, विनेश को सेमीफाइनल में हारने वाले पहलवान द्वारा बदल दिया जाएगा, इसलिए गुज़मान लोपेज़ युस्नेलिस फाइनल में प्रतिस्पर्धा करेगी. रिपेचेज सुसाकी युई बनाम लिवच ओक्साना कांस्य पदक मैच बन जाएगा."

कोच के साथ मिलकर लिए एक्स्ट्रीम स्टेप्स

लेकिन विनेश के कोचों ने उनकी मदद करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 29 वर्षीय विनेश ने मंगलवार सुबह अपने इवेंट शुरू होने से पहले वजन कम कर लिया था, लेकिन रात में उनका वजन 2 किलो बढ़ गया था. कोचों ने विनेश को पूरी रात सोने नहीं दिया, ताकि उनका तनाव बढ़ सके. उन्होंने 12 घंटे से अधिक समय तक कुछ भी नहीं खाया या पिया और अतिरिक्त वजन कम करने के लिए लगातार जॉगिंग, स्किपिंग और साइकिलिंग की.

जब सब कुछ विफल हो गया, तो द स्पोर्ट्सस्टार ने बताया कि कोचों ने विनेश के बाल काटे और "खून निकालने का प्रयास किया, लेकिन उनके प्रयासों का मनचाहा परिणाम नहीं मिला." अत्यधिक उपायों के कारण विनेश कमजोर, थका हुआ और डिहाइड्रेटेड हो गईं. चक्कर आने और थोड़ी देर के लिए बेहोश होने के बाद उन्हें ओलंपिक गांव के एक मेडिकल सेंटर ले जाया गया.

निकहत जरीन ने भी घटाया था वजन

वजन कम करना एक दर्दनाक प्रक्रिया है, जिससे पहलवानों को गुजरना पड़ता है, अगर उनका प्राकृतिक शरीर का वजन उस वर्ग से अधिक है जिसमें वे प्रतिस्पर्धा करते हैं. विनेश का प्राकृतिक शरीर का वजन लगभग 56-57 किलोग्राम है, और उनके लिए 50 किलोग्राम तक पहुंचने में बहुत प्रयास लगता है.

संपर्क खेलों में भाग लेने वाले एथलीट वजन कम करने के लिए वजन कम करने से दो दिन पहले भोजन और पानी भी नहीं लेते हैं. पेरिस में अपनी हार के बाद मुक्केबाज निकहत ज़रीन ने कहा था कि वह वजन सीमा के भीतर रहने के लिए दो दिनों तक भोजन या पानी नहीं लेती थी और परिणामस्वरूप उसकी ताकत कम हो गई थी.

फोगाट से पहले इटली की लुईजी को भी होना पड़ा था बाहर

50 किलोग्राम वर्ग में वजन से संबंधित यह एकमात्र अयोग्यता नहीं थी. मंगलवार को इटली की एमानुएला लुइजी को भी वजन अधिक होने के कारण अपने प्रारंभिक मुकाबले से बाहर होना पड़ा. विनेश फोगाट सिर्फ एक पहलवान नहीं थीं, बल्कि वह एक राष्ट्र की उम्मीदों की धारक थीं. उनके कंधों पर देश का दबाव था, और वह इस दबाव को बखूबी संभाल रही थीं. लेकिन खेल में कभी-कभी परिस्थितियां आपके पक्ष में नहीं होतीं.

भारतीय ओलंपिक संघ ने भी इस मुश्किल घड़ी में विनेश के साथ खड़े रहने की कोशिश की. उन्होंने गोपनीयता की अपील करते हुए कहा कि वे इस समय कोई भी टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.