दुनिया की सबसे तेज पिच पर कंगारुओं ने पुजारा को चोटों से कर दिया था लाल लेकिन नहीं ढहा पाए थे 'टीम इंडिया की दीवार'

Cheteshwar Pujara Retirement: चेतेश्वर पुजारा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है. ऐसे मौके पर हम उनके द्वारा साल 2020-21 दौरे पर खेली गई गाबा में ऐतिहासिक पारी पर नजर डालने वाले हैं.

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Praveen Kumar Mishra

Cheteshwar Pujara Retirement: चेतेश्वर पुजारा भारतीय क्रिकेट के उन खिलाड़ियों में से एक हैं, जिन्हें राहुल द्रविड़ के बाद "मिस्टर डिपेंडेबल" कहा जा सकता है. उन्होंने हमेशा अपनी उपलब्धियों से ज्यादा टीम की जीत को प्राथमिकता दी. खासकर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2018-19 और 2020-21 के बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी दौरे पर उनकी बल्लेबाजी ने भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. 

हालांकि, इन जीत में सबसे ज्यादा चर्चा हुई 2020-21 के गाबा टेस्ट की, जहां पुजारा ने अपनी दृढ़ता और हिम्मत से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को हार मानने पर मजबूर कर दिया. उनके संन्यास के मौके पर पुजारा की हम वही गाबा वाली पारी याद करने वाले हैं.

गाबा टेस्ट में चेतेश्वर पुजारा की ऐतिहासिक पारी

2020-21 के गाबा टेस्ट का आखिरी दिन भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के लिए हमेशा यादगार रहेगा. इस मैच में पुजारा ने 211 गेंदों का सामना करते हुए 56 रन बनाए. यह स्कोर भले ही बड़ा न लगे लेकिन इस पारी की कीमत भारत की उस ऐतिहासिक जीत से समझी जा सकती है.

ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों ने पुजारा पर कई शारीरिक प्रहार किए. उनके शरीर पर गेंदें लगीं, लेकिन पुजारा डटकर खड़े रहे. उनकी यह जुझारू पारी भारत को 3 विकेट से जीत दिलाने में निर्णायक साबित हुई. 

टीम के लिए समर्पण

पुजारा का खेल हमेशा से टीम के लिए रहा. चाहे वह लंबी पारियां खेलना हो या फिर मुश्किल परिस्थितियों में विकेट बचाना, पुजारा ने हमेशा अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. गाबा टेस्ट में उनकी 211 गेंदों की पारी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.

इस दौरान उन्होंने न केवल गेंदबाजों की रणनीति को नाकाम किया, बल्कि अपने साथी बल्लेबाजों को भी जीत के लिए प्रेरित किया. उनकी इस पारी ने भारत को गाबा में ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत को तोड़ने में मदद की, जो कई सालों से अजेय मानी जाती थी.

क्रिकेट को कहा अलविदा

37 साल की उम्र में पुजारा ने हाल ही में क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास की घोषणा की. अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने भावुक होकर लिखा, "राजकोट के एक छोटे से लड़के के रूप में मैंने अपने माता-पिता के साथ मिलकर भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनने का सपना देखा था. इस खेल ने मुझे बहुत कुछ दिया - अवसर, अनुभव, प्रेम और अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का गर्व."