एक बिहारी समाज ही ऐसा समाज है जो सूरज के दोनों रूपों की पूजा करता है..बिहारी समाज सूरज के उगने पर भी उसको पूजता है और उसके अष्ट होने पर भी उसको पूजता है..
छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है जिसमें दिन व्रती महिलाएं नदी या घर में स्नान करती हैं और इसके बाद छठ व्रती प्रसाद बनाना शुरू करती हैं.
छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है. खरना मतलब शुद्धिकरण होता है. यह कार्तिक पंचमी को मनाया जाता है.
मान्यता-- इस प्रसाद को सबको बांटा जाता है और कहते है कि बहुत नसीब वाले होते है जिनको ये प्रसाद मिलता है.
मान्यता--- अगर आप भी इस दौरान नदी के अंदर खड़े होकर सूर्य देवता की आराधना करें तो आपके बिगड़े काम बनेंगे.
मान्यता-- इस दौरान जो व्रती महिला है वो जब घाट से आती है तो घर की बेटी या बहू पैर धूलती है उनके और उनका आशीर्वाद लेती है. ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से आपको सीधा छठी मैया का आशीर्वाद मिलता है.