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कोविड वैक्सीन से आ सकता है हार्ट अटैक! स्पेशलिस्ट से जानें क्या है इसकी सच्चाई?

Covid Vaccine Side Effects:  ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि कोविडरोधी वैक्सीन कोविशील्ड के कारण थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के साथ ही थ्रोम्बोसिस जैसी समस्या हो सकती है. इससे ब्लड क्लाटिंग हो सकती है और हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है. इसके साथ ही प्लेटलेट्स की संख्या भी कम हो सकती है. ऐसे में इस वैक्सीन को लगवाने वाले लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया है. आइए डॉ. संजीव गेरा से जानते हैं कि ब्लड क्लॉटिंग की समस्या से कैसे बचा जा सकता है.

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Mohit Tiwari
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Courtesy: india daily live

Covid Vaccine Side Effects: कोविड-19 से बचने के लिए कोरोनारोधी वैक्सीन लोगों ने लगवाई थी. इसमें कइयों ने कोविशील्ड और वैक्सजेवरिया वैक्सीन लगवाई थी. अब इसको लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. इसको लेकर विदेश की अदालत में ब्रिटिश फार्मास्युटिकल दिग्गज कंपनी एस्ट्राजेनेका ने कहा कि इस वैक्सीन से कुछ केसों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस की स्थिति देखने को मिल रही है.  

ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित की गई और भारत के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाई गई कोविशील्ड वैक्सीन का टीका भाारत समेत कई देशों के नागरिकों को लगाया गया है. थ्रोम्बोसिस की स्थिति में खून के गाढ़े होने की समस्या हो जाती है, जिससे हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक की संभावना कुछ हद तक बढ़ जाती है. ऐसे में इस वैक्सीन की डोज लेने वाले लोगों में एक डर का माहौल पैदा हो गया है. 

कितना है खतरा?

फोर्टिस हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड और डॉयरेक्टर डॉ. संजीव गेरा ने बताया कि अभी पूरी तरह से ये तो नहीं कहा जा सकता है कि लोगों में खून गाढ़ा होने की समस्या कोविड वैक्सीन से आ रही है. यह अभी जांच का विषय है, लेकिन हाल में आ रहे कई हार्ट अटैक और कार्डिक अरेस्ट संबंधी मामलों ऐसा देखा जा रहा है कि उन पेशेंट्स को या तो कोविड हुआ या उन्होंने वैक्सीन लगवाई हुई है. सबसे बड़ी बात है कि यह ब्लड के गाढ़े होने की समस्या फिट युवाओं में भी देखने को मिल रही है. खून के गाढ़े होने से ब्लड क्लाटिंग, कार्डिक अरेस्ट, ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है. 

युवाओं को आ रहा है हार्ट अटैक

डॉ. गेरा ने बताया कि आजकल युवाओं को कार्डिक अरेस्ट और हार्ट अटैक आ रहा है. इनमें खून के गाढ़े होने की समस्या देखी जा रही है. हालांकि बिना रिसर्च के हम ये नहीं कह सकते हैं कि यह वैक्सीन का साइड इफेक्ट है. एक वैक्सीन को बनाने में काफी शोध और 8 से 10 साल का वक्त लगता है. इस वैक्सीन को कोविड की समस्या को देखते हुए लाया गया है, फिर भी अभी इस पर रिसर्च होनी चाहिए. वर्तमान की बात करें तो कई ऐसे हार्ट पेशेंट अब देखने को मिल रहे हैं, जो युवा हैं और 10 से 15 किलोमीटर तक वॉक भी कर रहे हैं, फिर भी वे हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं. वहीं, हार्ट अटैक के कुछ ऐसे भी युवा पेशेंट सामने आए हैं, जो सिर्फ स्मोकिंग करते थे. इन सभी पेशेंट का सीआरपी लेवल बढ़ा ही पाया गया. 

बढ़ जाता है CRP लेवल 

सी-रिएक्टिव प्रोटीन का लेवल बढ़ने से ब्लड गाढ़ा होने लगता है. इससे कार्डिक अरेस्ट की स्थिति बन सकती है. इंफ्लेमेशन बढ़ने के कई केस पोस्ट कोविड पेशेंट में अधिकतर देखे जा रहे हैं. कोविड वैक्सीन लेने वाले लोगों में भी इस प्रकार के केस देखे गए हैं. सीआरपी लेवल की जांच आप ब्लड टेस्ट से करा सकते हैं. 

क्या है सही सीआरपी लेवल ?

एक स्वस्थ वयस्क में 3mg/l से कम सीआरपी लेवल को नॉर्मल माना जाता है. गर्भवती महिलाओं या डायबिटीज, डिप्रेशन, मोटापा, स्मोकिंग करने वाले लोगों में 3 से 10 mg/l सीआरपी स्तर देखा जा सकता है. वहीं, 10 से 100 तक सीआरपी लेवल कैंसर, ऑटो इम्यून बीमारी, हार्ट अटैक और ब्रोंकाइटिस के पेशेंट में देखा जाता है. इससे ऊपर 100 से 500 तक एक्यूट बैक्टीरियल इंफेक्शन, ट्रामा वाले पेशेंट में देखा जा सकता है. इस कारण सीआरपी लेवल को मेंटेन रखना काफी आवश्यक है. 

क्या रखें सावधानियां 

किसी भी प्रकार के साइड इफेक्ट और नॉर्मल सीआरपी लेवल रखने के लिए आप कुछ सावधानियां बरत सकते हैं. 

  • डायबिटीज और बीपी के मरीजों को नियमित तौर पर शुगर और बीपी का टेस्ट कराना चाहिए और इसको नॉर्मल रखने का प्रयास करना चाहिए. 
  • आपको धूम्रपान पूरी तरह से छोड़ देना चाहिए. इसके साथ अल्कोहल से भी बचने का प्रयास करें.
  • अगर आप एक्सरसाइज नहीं करते हैं तो एकदम से एक्सरसाइज शुरू न करें. धीरे-धीरे से ही इसकी शुरुआत करें.
  • आपको रोजाना एक्सरसाइज करनी चाहिए. 
  • तनाव को मैनेज करें. इसके साथ ही ट्रांस फैट्स से दूरी बनाएं. 
  • हेल्दी डाइट लें और फल, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स लें. 

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने कबूली है यह बात 

वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने विदेश की एक अदालत में कबूल किया है कि कुछ पेशेंट्स में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस  की समस्या देखने को मिल रही है. इस समस्या में CRP लेवल बढ़ा हुआ होता है. 

क्या है थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम?

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस एक काफी दुर्लभ स्थिति है, इससे शरीर में कई जगहों पर खून के थक्के बन जाते हैं. इसके साथ ही रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या भी कम हो जाती है. विदेशों से आई रिपोर्ट के मुताबिक यह स्थिति उन लोगों में अधिक देखी जा रही है, जिनमें वैक्सजेवरिया, कोविशील्ड (एस्ट्राजेनेका) और जॉनसन एंड जॉनसन/जानसेन कोविड-19 वैक्सीन जैसे एडेनोवायरल वेक्टर कोविड-19 वैक्‍सीन की डोज दी गई है. ऐसे में लोगों में ब्लड के गाढ़े होने की समस्या देखी जा रही है. 

TTS के होते हैं दो भाग

टीटीएस की समस्या टियर-1 और टियर-2 दो भागों में होती है. 

टियर-1 में होती है यह समस्या

इसमें काफी रियर केस में दिमाग, आंत, पैरों या फेफड़ों में आसामन्य रूप से ब्लड क्लाटिंग हो जाती है.इसमें प्लेटलेट्स 150000 प्रति माइक्रोलीटर से नीचे हो जाती हैं. टियर-1 के मामले थोड़े ज्यादा गंभीर होते हैं. ये अधिकतर युवाओं में अधिक देखे गए हैं.  एंटी-पीएफ4 एलिसा परीक्षण से इसकी पुष्टि होती है. 

टियर-2 में हो जाती है ये दिक्कत

इसमें खून के थक्के पैरों या फेफड़ों में देखने को मिलते हैं. इसमें भी प्लेटलेट्स डेढ़ लाख कम होती हैं. इसकी पुष्टि  पॉजिटिव एंटी-पीएफ4 एलिसा टेस्ट से होती है. 

TTS में दिखते हैं ये लक्षण 

टीटीएस की समस्या में पेट दर्द, सिरदर्द, पैरों में सूजन, सांस लेने में परेशानी और सोचने में समस्या या दौरे पड़ना आदि लक्षण दिखते हैं. अगर वैक्सीन लगने के बाद इस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं तो आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए. 

Disclaimer : यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.