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India Daily

फरीदाबाद के विशेषज्ञ ने बताए स्मोकिंग और प्रदूषण से डेमेज फेफड़ों को सुधारने के असरदार उपाय

फरीदाबाद के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. गुरमीत सिंह छब्बड़ा ने बताया कि धूम्रपान और प्रदूषण से हुए फेफड़ों के नुकसान को जीवनशैली, व्यायाम, पोषण और सावधानी से कम या सुधारना संभव है.

Kuldeep Sharma
Edited By: Kuldeep Sharma
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Courtesy: social media

फेफड़े हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से हैं, जो हमें बिना रुके सांस लेने में मदद करते हैं. लेकिन धूम्रपान, वायु प्रदूषण और हानिकारक औद्योगिक तत्वों से इन पर गंभीर और कभी-कभी अपरिवर्तनीय नुकसान हो सकता है.

फरीदाबाद के यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. गुरमीत सिंह छब्बड़ा बताते हैं कि सही व्यायाम, संतुलित आहार और जीवनशैली बदलाव से फेफड़ों की कार्यक्षमता को सुधारना संभव है और नुकसान को कम किया जा सकता है.

धूम्रपान और प्रदूषण से फेफड़ों पर असर

डॉ. छब्बड़ा बताते हैं कि जन्म के समय फेफड़े गुलाबी और स्वस्थ होते हैं, लेकिन लंबे समय तक धूम्रपान और प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़ों में विषैले तत्व जमा हो जाते हैं. इससे क्रॉनिक रेस्पिरेटरी रोग, फेफड़ों के कैंसर और हृदय-संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. धूम्रपान से एयरवेज और एल्वियोली पर असर पड़ता है, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान कम हो जाता है और सांस लेने में कठिनाई होती है.

वायु प्रदूषण और औद्योगिक जोखिम

गैर-धूम्रपान करने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं हैं. प्रदूषित क्षेत्रों में रहना प्रतिदिन बीस से तीस सिगरेट पीने के बराबर हो सकता है. वाहनों, फैक्ट्रियों और रसोई गैसों से निकलने वाले विषैले कण फेफड़ों की उम्र बढ़ाते हैं और COPD तथा कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं. औद्योगिक कार्यस्थलों पर एसीबेस्टस, सिलिका और वाष्पशील रसायन भी फेफड़ों को प्रभावित करते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि इन जोखिमों से बचाव जरूरी है.

फेफड़ों की सेहत सुधारने के टिप्स

कुछ नुकसान स्थायी हो सकते हैं, लेकिन जीवनशैली बदलाव मददगार हैं. डॉ. छब्बड़ा के अनुसार सबसे पहले धूम्रपान तुरंत छोड़ें. नियमित व्यायाम या तेज चलना फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और म्यूकस साफ करता है. इनडोर वायु गुणवत्ता सुधारें, HEPA एयर प्यूरीफायर और वेंटिलेशन का इस्तेमाल करें. पोषक तत्वों और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार लें, जैसे फल, सब्जियां, हरी पत्तेदार सब्जियां, बीटरूट, लहसुन और ग्रीन टी. पर्याप्त पानी पिएं और प्राणायाम या योग अभ्यास करें.

संक्रमण और स्वास्थ्य जांच

इंफेक्शन से बचाव के लिए फ्लू और न्यूमोनिया वैक्सीन लगवाएं. 40 वर्ष से अधिक उम्र वाले या धूम्रपान करने वाले नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं. प्रारंभिक फेज के फेफड़े के कैंसर और अन्य बीमारियों का पता लो-डोज सीटी स्कैन से लगाया जा सकता है. गंभीर मामलों में फेफड़ों का प्रत्यारोपण ही विकल्प हो सकता है, लेकिन समय पर पहचान और देखभाल जीवन की गुणवत्ता बढ़ा सकती है.

रोकथाम और रोजमर्रा के उपाय

डॉ. छब्बड़ा कहते हैं कि धूम्रपान और प्रदूषण लगातार नुकसान पहुंचाते हैं. इसके लिए N95 मास्क पहनें, HEPA फिल्टर वाले एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और लकड़ी, कोयला, गोबर या केरोसिन जैसे बायोमास ईंधन से बचें. आहार, व्यायाम और पानी की मात्रा फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने में मदद करती है. नियमित अभ्यास से सांस लेने में सुधार होता है और जटिलताओं का खतरा कम होता है.