US Shutdown: संयुक्त राज्य अमेरिका की संघीय सरकार 1 अक्तूबर की रात 12.01 बजे आधिकारिक रूप से बंद हो गई, ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि नए वित्त वर्ष के लिए धन बढ़ाने पर सहमति बनाने में सफल रही. अमेरिका में 1977 के बाद यह 21वीं बार धन की कमी का संकेत है. अमेरिका जैसे देश में सरकार का बंद होना इस बात को दर्शाता है कि दुनिया के सबसे ताकतवर माने जाने वाले इस देश का वित्तीय घाटा किस कदर बढ़ गया है.
अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि हालांकि एक छोटे से बंद का सीमित प्रभाव हो सकता है लेकिन अगर गतिरोध जारी रहा तो नकाराकात्मक प्रभाव काफी बढ़ जाएंगे.
🇺🇸 The US government shut down after midnight Wednesday as President Donald #Trump and lawmakers failed to break a budget deadlock over health care funding.
— FRANCE 24 English (@France24_en) October 1, 2025
🛑 It’s the first shutdown in nearly 7 years, sidelining thousands of federal workers pic.twitter.com/im7YQ0Yt8u
अमेरिका की राजनीतिक में यह सरकारी गतिरोध सरकारी खर्च को लेकर असहमति पर केंद्रित है. बहस के दौरान डेमोक्रेट्स द्वारा अफोर्डेबल केयर एक्ट (ASA) के तहत बढ़ी हुई स्वास्थ्य सेवा सब्सिडी बढ़ाने पर जोर देने के कारण जिससे लगभग 2.2 करोड़ अमेरिकी लाभान्वित होते हैं.
शटडाउन का क्या मतलब है
सरकारी शटडाउन तब होता है जब कांग्रेस संघीय विभागों और एजेंसियों के वित्तपोषण के लिए आवश्यक वार्षिक विनियोग विधेयक पारित नहीं कर पाती, इसके चलते सरकार को सभी गैर जरूरी कार्यों को तुरंत रोकना होगा, हालांकि राष्ट्रीय सुरक्षा और हवाई यातायात नियंत्रण जैसी सार्वजनिक सुरक्षा से जुड़ी जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी.
भारत पर क्या होगा असर
यह शटडाउन भले ही अमेरिका में हुआ हो लेकिन इसका असर भारत सहित पूरे विश्व पर पड़ेगा. इस शटडाउन से वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता पैदा हो रही है जिससे शेयर सूचकांकों और निवेशकों की धारणा में उतार-चढ़ाव हो सकता है. भारत का शेयर बाजार अमेरिका के शेयर बाजार और वहां के रुझानों से काफी प्रभावित होता है. इस अनिश्चितता के कारण विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारतीय बाजारों में अपना निवेश कर कर सकते हैं.
आईटी और व्यापार: भारतीय आईटी और सेवा क्षेत्र जो अमेरिकी कंपनियों के अनुबंधों पर बहुत अधिक निर्भर है, संघीय एजेंसियों द्वारा सेवाएं बंद करने पर भुगतान में देरी या नई अपतटीय परियोजनाओं के स्थगन का दबाव महूसस कर सकता है. इसके अलावा लंबे समय तक व्यवधान अमेरिकी सप्लाई चेन को प्रभावित कर सकता है जिसका अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय व्यवसायों पर प्रभाव पड़ सकता है. अमेरिकी उपभोक्ताओं की ओर से कम मांग भारतीय निर्यात को भी प्रभावित कर सकती है.