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India Daily

पीटर नवारो का भारत पर रूसी तेल कारोबार को लेकर हमला, एक्स पर सामुदायिक नोट से भड़के; मस्क को लगाई लताड़

पीटर नवारो की तथ्य-जांच एक्स उपयोगकर्ताओं के एक समुदाय द्वारा की गई, जिन्होंने बताया कि रूस के साथ भारत का तेल कारोबार "केवल लाभ के लिए नहीं, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा के लिए" था.

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Edited By: Mayank Tiwari
peter navarro fight with elon musk
Courtesy: X

व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने रविवार (7 सितंबर) को भारत के रूस से तेल खरीद को लेकर एक विवादास्पद पोस्ट शेयर की, जिसके बाद एक्स पर सामुदायिक नोट द्वारा उनकी आलोचना ने तूल पकड़ लिया. नवारो ने भारत पर रूस के साथ तेल कारोबार को "लाभ के लिए" करने का आरोप लगाया और दावा किया कि यह कारोबार "रूस के युद्ध मशीन को धन उपलब्ध कराता है." हालांकि, एक्स के उपयोगकर्ताओं ने सामुदायिक नोट के जरिए उनके दावों को खारिज किया.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सामुदायिक नोट में कहा गया, “भारत का तेल कारोबार ऊर्जा सुरक्षा के लिए है, न कि केवल लाभ के लिए. यह व्यापार किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं करता.” नोट में यह भी जिक्र किया गया कि “भारत के कुछ टैरिफ के बावजूद, अमेरिका को भारत के साथ सेवा क्षेत्र में कारोबार अधिशेष है. साथ ही, अमेरिका खुद रूस से कुछ सामानों का आयात करता है, जो पाखंडपूर्ण है.”

पीटर नवारो का भड़का गुस्सा

व्हाइट हाउस के सलाहकार पीटर नवारो ने इस नोट को “बकवास” करार देते हुए एक्स के मालिक एलन मस्क पर निशाना साधा. उन्होंने मस्क पर “लोगों की पोस्ट में प्रचार को अनुमति देने” का आरोप लगाया. नवारो ने लिखा, “नीचे दिया गया बकवास नोट वास्तव में बकवास है. भारत रूस से तेल केवल लाभ के लिए खरीदता है. रूस के यूक्रेन पर आक्रमण से पहले भारत ने ऐसा कोई तेल नहीं खरीदा था. भारतीय सरकार का प्रचार तंत्र तेजी से काम कर रहा है. यूक्रेनियों को मारना बंद करें. अमेरिकी नौकरियां छीनना बंद करें.”

नवारो ने की जमकर की भारत की आलोचना

पीटर नवारो की यह पोस्ट रूसी तेल कारोबार को लेकर भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों में सबसे नई है. यह आरोप उन्होंने तब से लगाए हैं जब से अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा की है. नवारो की नई पोस्ट में लिखा है, "तथ्य: भारत में सबसे अधिक टैरिफ के कारण अमेरिकी नौकरियां खत्म हो रही हैं. भारत रूसी तेल को विशुद्ध रूप से लाभ कमाने के लिए खरीदता है/राजस्व से रूसी युद्ध मशीन को पोषण मिलता है. यूक्रेनियन/रूसी मरते हैं. इससे अमेरिकी टैक्सपेयर को अधिक भुगतान करना पड़ता है. भारत सच्चाई को नहीं संभाल सकता/वामपंथी अमेरिकी फर्जी खबरें फैला सकता है."

वह वाशिंगटन पोस्ट की एक खबर का हवाला दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि वाशिंगटन की ओर से भारत के लिए जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे राजनयिक संबंध खराब हो रहे हैं. हालांकि, इससे पहले, नवारो ने भारत को निशाना बनाने के लिए 'टैरिफ के महाराजा', 'क्रेमलिन के लिए लॉन्ड्रोमैट', 'यूक्रेन में मोदी का युद्ध' आदि जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया है.