नई दिल्ली: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय को लगातार निशाना बनाए जाने के मामले सामने आ रहे हैं. ताजा मामला पीरोजपुर जिले के डुमरिया गांव का है, जहां कुछ कट्टरपंथियों ने हिंदू परिवारों के घरों में आग लगा दी. बताया जा रहा है कि यह घटना 27 दिसंबर को हुई, जिससे पूरे इलाके में डर और तनाव का माहौल बन गया.
स्थानीय लोगों के अनुसार, हमलावरों ने पलाश कांति साहा के घर पर हमला किया और उन्हें घर के अंदर ही बंद कर दिया. आरोप है कि उन्हें जिंदा जलाने की कोशिश की गई. गनीमत रही कि किसी तरह उनकी जान बच गई. इससे एक दिन पहले पास के पश्चिम डुमरियातला गांव में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जहां दो हिंदू परिवारों के कुल पांच घरों को आग के हवाले कर दिया गया था. लगातार हो रही इन घटनाओं से हिंदू समुदाय में गहरी चिंता फैल गई है.
#BreakingNews Cases of attacks on Hindus have reached an alarming level in Bangladesh. On December 27 at 6am, miscreants set fire at homes of Kanti Saha Dumuria village under Pirojpur district. pic.twitter.com/M4s7ROHBSs
— Salah Uddin Shoaib Choudhury (@salah_shoaib) December 28, 2025
रिपोर्ट के मुताबिक, हमलावरों ने एक कमरे में कपड़े डालकर आग लगाई, जिससे आग तेजी से पूरे घर में फैल गई. यह मकान पलाश कांति साहा समेत साहा परिवार के कई सदस्यों का था. आग लगने से घर में रखा सारा सामान जलकर नष्ट हो गया. इसमें फर्नीचर, नकदी, जमीन के कागजात, पढ़ाई से जुड़े प्रमाणपत्र और अन्य जरूरी दस्तावेज शामिल थे. पीड़ित परिवारों के लिए अब दोबारा जीवन शुरू करना बेहद मुश्किल हो गया है.
इन घटनाओं पर बांग्लादेश की जानी-मानी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि पीरोजपुर के दुमरितोला गांव में हिंदू परिवारों के घरों के कई कमरे जला दिए गए. उन्होंने कहा कि हमलावरों ने तड़के सुबह आग लगाई, जब लोग गहरी नींद में थे. उन्होंने चट्टोग्राम के रावजान इलाके में हुई ऐसी ही घटनाओं का भी जिक्र किया और सवाल उठाया कि क्या देश में हिंदुओं के घरों को इसी तरह जलाया जाता रहेगा. उन्होंने सरकार की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए. क्या यूनुस सिर्फ बांसुरी बजा रहा है?
इससे पहले भी दक्षिण-पूर्वी बंदरगाह शहर चट्टोग्राम के पास एक हिंदू परिवार के घर में आग लगाए जाने की घटना सामने आई थी. परिवार के सदस्यों ने बताया कि वे आग की गर्मी से नींद खुलने पर जागे, लेकिन दरवाजे बाहर से बंद होने के कारण वे कुछ समय तक अंदर ही फंसे रहे. किसी तरह टीन की चादरें और बांस की बाड़ काटकर सभी लोग बाहर निकलने में सफल रहे. हालांकि, उनका पूरा घर जलकर खाक हो गया और पालतू जानवरों की भी जान चली गई.
इन घटनाओं के बीच बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक हालात भी बेहद अस्थिर बने हुए हैं. 12 दिसंबर को छात्र नेता उस्मान हादी पर गोली चलाए जाने और उनकी मौत के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. कई शहरों में हिंसा, तोड़फोड़ और झड़पों की खबरें आई. इसी दौरान मयमनसिंह में एक युवा हिंदू मजदूर दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा हत्या की घटना ने स्थिति को और गंभीर बना दिया.
लगातार बढ़ती हिंसा के चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बांग्लादेश की स्थिति को लेकर चिंता जताई जा रही है. अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर यूनुस सरकार पर सवाल उठ रहे हैं, जबकि पीड़ित परिवार अब भी न्याय और सुरक्षा की उम्मीद लगाए बैठे हैं.