USAID Funding Controversy: भारत में अमेरिकी दूतावास ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका की विकास एजेंसी यूएसएआईडी यानी USAID ने भारत में चुनावों के दौरान वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर की फंडिंग की थी. दूतावास की ओर से उपलब्ध कराए गए आधिकारिक आंकड़े संसद में पेश किए गए हैं, जिनमें इस तरह की किसी भी फंडिंग का कोई उल्लेख नहीं है.
फरवरी में अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (Doge) की ओर से सोशल मीडिया पर यह दावा किया गया था कि भारत को चुनावी फंडिंग के लिए 21 मिलियन डॉलर दिए गए थे, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया. इसी दावे को ट्रंप ने बार-बार दोहराया और अपने चुनावी भाषणों में इसे मुद्दा बनाया. ट्रंप ने यहां तक कहा था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वोटर टर्नआउट बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर दिए जा रहे हैं. उन्होंने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अमेरिका को अपने देश के चुनावों में निवेश करना चाहिए न कि भारत जैसे देशों में.
US taxpayer dollars were going to be spent on the following items, all which have been cancelled:
- $10M for "Mozambique voluntary medical male circumcision"
- $9.7M for UC Berkeley to develop "a cohort of Cambodian youth with enterprise driven skills"
- $2.3M for "strengthening…— Department of Government Efficiency (@DOGE) February 15, 2025Also Read
इस विवाद पर भारत सरकार ने संसद में स्पष्टीकरण मांगा. सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास के प्रश्न के जवाब में विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि भारत ने अमेरिकी दूतावास से बीते 10 वर्षों में यूएसएआईडी द्वारा किए गए सभी प्रोजेक्ट्स का ब्योरा मांगा था. इसके जवाब में 2 जुलाई को अमेरिकी दूतावास ने जो जानकारी दी, उसमें स्पष्ट किया गया कि भारत में चुनावों से जुड़ी किसी भी गतिविधि के लिए कभी भी कोई फंडिंग नहीं दी गई.
विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि अमेरिका की ओर से भारत को दी गई सहायता परियोजनाओं की सूची संसद में उपलब्ध कराई गई है और उसमें चुनावी फंडिंग से संबंधित कोई प्रविष्टि नहीं है. साथ ही अमेरिकी राजदूत ने यह भी सूचित किया है कि 15 अगस्त से यूएसएआईडी भारत में अपना कार्य बंद कर देगा.
ट्रंप ने पहले भी जो बाइडेन प्रशासन पर आरोप लगाया था कि वह भारत के चुनावों में दखल दे रहा है और प्रधानमंत्री मोदी की जगह किसी अन्य को समर्थन देने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने 21 मिलियन डॉलर की बात को किकबैक स्कीम तक कहा था. हालांकि अमेरिकी दूतावास की ओर से पेश किए गए दस्तावेजों ने यह साफ कर दिया है कि ट्रंप का यह दावा आधारहीन और गलत था. इस खुलासे ने भारत और अमेरिका के बीच पारदर्शिता को स्पष्ट किया है और यह साबित कर दिया है कि भारतीय चुनावों में किसी विदेशी एजेंसी का हस्तक्षेप नहीं हुआ है.