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बांग्लादेश में एकाएक पहुंचे अमेरिकी सैनिक, चटगांव पर नजरें, भारत-म्यांमार में चिंता की लहर

चटगांव बांग्लादेश का प्रमुख बंदरगाह शहर है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों (सेवन सिस्टर्स) और म्यांमार की सीमा से सटा हुआ है. यह क्षेत्र न केवल व्यापारिक मार्गों का गेटवे है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए भी महत्वपूर्ण है.

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Edited By: Gyanendra Sharma
US military activity in Bangladesh
Courtesy: Social Media

US military activity in Bangladesh: बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में देश में अमेरिकी सैन्य उपस्थिति तेजी से बढ़ रही है. खासकर चटगांव के रणनीतिक क्षेत्र में अमेरिकी सेना और वायुसेना के अधिकारियों की आमद ने भारत और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों में सुरक्षा संबंधी आशंकाएं पैदा कर दी हैं. हाल ही में अमेरिकी वायुसेना का एक सी-130जे सुपर हर्क्यूलिस विमान चटगांव के शाह अमानत इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरा, जिसके बाद लगभग 120 अमेरिकी सैनिक स्थानीय होटलों में ठहरे.

चटगांव बांग्लादेश का प्रमुख बंदरगाह शहर है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों (सेवन सिस्टर्स) और म्यांमार की सीमा से सटा हुआ है. यह क्षेत्र न केवल व्यापारिक मार्गों का गेटवे है, बल्कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को काउंटर करने के लिए भी महत्वपूर्ण है. अमेरिकी वायुसेना का सी-130जे विमान, जो सामान्यतः जापान के योकोटा एयरबेस पर तैनात रहता है, पिछले सप्ताह चटगांव पहुंचा. इस विमान को सामरिक परिवहन के लिए जाना जाता है, जो सैनिकों, उपकरणों और मानवीय सहायता को तेजी से तैनात करने में सक्षम है. विमान के उतरने के बाद अमेरिकी सैनिकों ने रेडिसन ब्लू होटल में चेक-इन किया, जहां उनके लिए 85 कमरें पहले से आरक्षित थे. दिलचस्प बात यह है कि होटल के रजिस्टर में इन सैनिकों के नाम दर्ज नहीं किए गए, जिससे गोपनीयता को लेकर सवाल उठे हैं.

10 सितंबर को ढाका से यूएस-बांग्ला एयरलाइंस की उड़ान के जरिए ये अधिकारी चटगांव पहुंचे. इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश वायुसेना के पटेंगा एयरबेस का दौरा किया, जो एयरपोर्ट से सटा हुआ है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये सैनिक 20 सितंबर तक चटगांव में रहेंगे और संयुक्त अभ्यास में हिस्सा लेंगे. इसके अलावा, 14 सितंबर को मिस्र की वायुसेना का एक ट्रांसपोर्ट विमान भी चटगांव एयरपोर्ट पर लैंड किया, जो क्षेत्रीय सहयोग की एक और कड़ी जोड़ता है. हालांकि, मिस्र के इस कदम का उद्देश्य स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह अमेरिकी गतिविधियों के साथ संयोग को संदिग्ध बनाता है.

यूनुस शासन के बाद अमेरिकी साझेदारी में उछाल

मुहम्मद यूनुस के सत्ता संभालने के बाद से अमेरिका-बांग्लादेश सैन्य संबंधों में तेजी आई है. अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद से अमेरिकी सेना ने चटगांव में कई बार डेरा डाला है. इनमें टोही मिशन, संयुक्त अभ्यास और आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शामिल हैं. इस साल की शुरुआत में ही दोनों देशों ने चटगांव में 'ऑपरेशन पैसिफिक एंजल-25' और 'टाइगर लाइटनिंग-2025' जैसे अभ्यास आयोजित किए थे. 'पैसिफिक एंजल' में अमेरिकी पैसिफिक एयर फोर्सेस (PACAF), बांग्लादेश वायुसेना और श्रीलंकाई वायुसेना ने हिस्सा लिया, जो चार दिनों तक चला. इसका फोकस खोज-बचाव और आपदा प्रतिक्रिया पर था.

वहीं, 'टाइगर लाइटनिंग-2025' जुलाई में सिलहेट के जलालाबाद कैंटोनमेंट में हुआ, जिसमें बांग्लादेश की पैरा कमांडो ब्रिगेड और अमेरिकी आर्मी पैसिफिक कमांड ने काउंटर-टेररिज्म, जंगल युद्ध और चिकित्सा निकासी पर ट्रेनिंग की. अमेरिकी दूतावास के अनुसार, ये अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता बढ़ाने के लिए हैं, लेकिन आलोचक इन्हें अमेरिका की क्षेत्रीय घुसपैठ का हिस्सा मानते हैं.

म्यांमार के विद्रोही समूहों पर नजर

अमेरिका और चीन दोनों ही म्यांमार के अस्थिर सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रभाव बढ़ाने की होड़ में हैं. म्यांमार में चल रहे गृहयुद्ध के बीच विद्रोही गुटों को समर्थन देना दोनों महाशक्तियों का लक्ष्य है. चटगांव की निकटता के कारण अमेरिकी उपस्थिति म्यांमार के आर्खेन आर्मी जैसे विद्रोही समूहों तक पहुंच को आसान बनाती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम चीन के 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' (BRI) प्रोजेक्ट्स को चुनौती दे सकता है, जो बांग्लादेश के माध्यम से म्यांमार तक फैले हैं.