PM Netanyahu Statement: ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा द्वारा फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दिए जाने के फैसले के कुछ ही घंटों बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कड़े शब्दों में प्रतिक्रिया दी और कहा कि इजरायल इस 'निंदा करने वाले दुष्प्रचार' को संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चुनौती देगा. उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन को मान्यता देना इजरायल की सुरक्षा के लिए खतरा है और यह आतंकवाद को इनाम देने जैसा कदम है.
साप्ताहिक कैबिनेट बैठक में नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि आने वाले दिनों में दुनिया को इजरायल की ओर से ठोस जवाब सुनने को मिलेगा. उन्होंने इशारा किया कि कब्जे वाले वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों को इजरायल में शामिल करने पर भी विचार किया जा सकता है. हालांकि, उन्होंने अपनी रणनीति का पूरा खुलासा नहीं किया और कहा कि यह प्रतिक्रिया उनकी आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के बाद तय होगी.
उधर, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन ने संयुक्त बयान जारी कर कहा कि फिलिस्तीनियों को स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र का अधिकार है और दो-राष्ट्र समाधान ही क्षेत्र में स्थायी शांति की कुंजी है. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि यह निर्णय फिलिस्तीनी जनता की लंबे समय से चली आ रही आकांक्षाओं की मान्यता है. हालांकि, इन देशों ने साफ किया कि शांति के लिए हमास का अस्तित्व खत्म होना चाहिए.
इस फैसले की इजरायली विदेश मंत्रालय ने कड़ी निंदा की. मंत्रालय ने बयान में कहा कि यह एकतरफा घोषणा न तो शांति को बढ़ावा देती है और न ही क्षेत्र की स्थिरता को. इसके बजाय यह कदम हालात को और बिगाड़ेगा और भविष्य में शांति समझौते की संभावनाओं को कमजोर करेगा. मंत्रालय ने इस घोषणा को हमास की 7 अक्टूबर की हिंसक घटना का फल बताया और कहा कि यह आतंकवादी संगठन को समर्थन देने जैसा है जिसने यहूदियों के खिलाफ द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा नरसंहार किया है.
इस घटनाक्रम ने इजरायल और पश्चिमी देशों के रिश्तों में नई दरार डाल दी है. जहां एक ओर तीन देशों का यह निर्णय फिलिस्तीनी संघर्ष को नई ताकत देता है, वहीं दूसरी ओर इजरायल इसको अपने अस्तित्व के लिए बड़ा खतरा मान रहा है. अब पूरी दुनिया की निगाहें नेतन्याहू और ट्रंप की बैठक पर टिकी हैं, जहां संभव है कि इजरायल की आगे की नीति पर बड़ा ऐलान हो.