menu-icon
India Daily

50-50 पर फंसा ट्रंप का 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल', उपराष्ट्रपति के वोट से हुआ पास

अमेरिकी सीनेट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विवादास्पद टैक्स ब्रेक और खर्च में कटौती वाले ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’ को बेहद कम अंतर से पारित कर दिया. 50-50 की बराबरी पर आए वोट को उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने तोड़ा, जिससे यह कानून पारित हो सका. बिल में सैन्य खर्च बढ़ाने और बड़े पैमाने पर निर्वासन कार्यक्रम के लिए बजट रखा गया है, लेकिन हेल्थकेयर और ग्रीन एनर्जी पर भारी कटौती की गई है.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
trump
Courtesy: WEB

अमेरिकी राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का 940-पन्नों का ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट’ अमेरिकी सीनेट में मुश्किल से पारित हो गया. बिल में कर छूट, रक्षा बजट में भारी इजाफा और सामाजिक कल्याण योजनाओं में कटौती जैसे प्रावधान शामिल हैं. वोटिंग के दौरान हुए 50-50 टाई को उपराष्ट्रपति जेडी वांस ने अपने निर्णायक वोट से पारित किया.

इस बिल के तहत ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल की टैक्स छूट को $4.5 ट्रिलियन तक बढ़ाने की योजना बनाई है. इसके साथ ही, सेना के बजट में $150 बिलियन का इजाफा किया गया है. इसके जरिए राष्ट्रपति ट्रंप अपने बड़े निर्वासन कार्यक्रम और अमेरिकी सुरक्षा नीति को आगे बढ़ाना चाहते हैं. बिल को 4 जुलाई की समयसीमा से पहले पारित कराने का लक्ष्य था, जिसे अब ट्रंप ने पूरा कर लिया है.

हेल्थकेयर और ग्रीन एनर्जी पर भारी चोट

जहां एक ओर टैक्स छूट और रक्षा पर खर्च बढ़ाया गया है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में कटौती की गई है. मेडिकेड हेल्थ इंश्योरेंस कार्यक्रम से $1.2 ट्रिलियन की कटौती की गई है, जिससे करीब 8.6 मिलियन गरीब और विकलांग अमेरिकी अपनी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हो सकते हैं. साथ ही, ग्रीन एनर्जी टैक्स क्रेडिट्स से भी अरबों डॉलर की धनराशि हटा ली गई है, जिससे जलवायु संकट पर वैश्विक प्रयासों को झटका लग सकता है.

इसके आगे क्या होगा?

बिल के खिलाफ सिर्फ डेमोक्रेट्स ही नहीं, बल्कि रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सदस्य भी खड़े हो गए. नॉर्थ कैरोलिना के थॉम टिलिस, मेन की सुसन कॉलिन्स और केंटकी के रैंड पॉल ने खुलकर विरोध जताया. बिल को अभी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स से भी पारित होना है, जहां डेमोक्रेट्स और कुछ रिपब्लिकन सांसद इसे रोकने की कोशिश कर सकते हैं, खासकर उन प्रावधानों के कारण जो स्वास्थ्य और खाद्य सहायता योजनाओं में कटौती से जुड़े हैं.