Israel Gaza plan: गाजा पर पूरी तरह कब्जा करने की इजराइली योजना ने न केवल फिलिस्तीनियों के लिए संकट गहरा दिया है, बल्कि उसके करीबी सहयोगियों को भी असहज कर दिया है. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के फैसले के बाद अब तक इजराइल की सेना लगभग 75% गाजा पर नियंत्रण कर चुकी है. लेकिन इस कदम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता की लहर दौड़ा दी है.
आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इस मुद्दे पर आपात बैठक करेगी, जिसे कई देशों-जिनमें इजराइल के सहयोगी भी शामिल हैं के अनुरोध पर बुलाया गया है. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस योजना को ‘बेहद खतरनाक’ बताते हुए कहा है कि इससे लाखों फिलिस्तीनियों की जान को गंभीर खतरा है.
गाजा पहले ही 22 महीने के युद्ध, मानवीय संकट और व्यापक विनाश से जूझ रहा है. ऐसे में गाजा शहर पर कब्जे की योजना हिंसा और विस्थापन के नए दौर को जन्म दे सकती है. इस फैसले ने न केवल यूरोपीय देशों बल्कि चीन जैसे बड़े राष्ट्रों को भी खुलकर विरोध करने पर मजबूर कर दिया है.
इजराइल के सुरक्षा मंत्रिमंडल ने गुरुवार और शुक्रवार को नेतन्याहू की योजना को मंजूरी दी, जिसके तहत उत्तरी गाजा शहर पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित किया जाएगा. इस फैसले पर यूरोपीय देशों, चीन और कई अन्य देशों ने कड़ी आपत्ति जताई है. उनका मानना है कि यह कदम मानवीय कानूनों का उल्लंघन है और इससे पहले से ही असुरक्षित फिलिस्तीनी आबादी पर और संकट टूट पड़ेगा.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप प्रवक्ता स्टेफनी ट्रेम्बले ने कहा कि गाजा शहर पर कब्जे का निर्णय लाखों लोगों की जान जोखिम में डाल सकता है और वहां बचे हुए बंधकों की सुरक्षा भी खतरे में डाल देगा. इसके बावजूद, अब तक की अंतरराष्ट्रीय निंदा इजराइल को अपनी कार्रवाई रोकने पर मजबूर नहीं कर पाई है.
हमास ने इस योजना को ‘पूर्ण युद्ध अपराध’ बताते हुए कहा कि यह नरसंहार, जबरन विस्थापन और जातीय सफाए के बराबर है. संगठन का कहना है कि इस कदम से लगभग 10 लाख लोगों की जान खतरे में पड़ जाएगी और बंधकों का ‘बलिदान’ हो जाएगा. हमास ने चेतावनी दी है कि इजराइल को इस ‘आपराधिक अभियान’ की भारी कीमत चुकानी होगी.