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India Daily

'लाहौर तक फहराएंगे झंडा...', तालिबान के 'ग्रेटर अफगानिस्तान' के नक्शे में पाक के कई हिस्से शामिल, बढ़ी युद्ध की आशंका

तालिबान ने खोस्त में एक समारोह के दौरान 'ग्रेटर अफगानिस्तान' का नक्शा पेश किया जिसमें डूरंड लाइन पार कर पाकिस्तान के कई इलाके दिखाए गए हैं. समारोह के दौरान चेतावनी वाले गीत और सैन्य शैली की प्रस्तुतियां भी हुईं. इस कदम से पाकिस्तान और अफगानिस्तान के मौजूदा सीमा तनाव और भी बढ़ने की संभावना है.

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Edited By: Km Jaya
Taliban map Greater Afghanistan India daily
Courtesy: @AfghanAnalyst2 x account

नई दिल्ली: तालिबान ने 'ग्रेटर अफगानिस्तान' का एक बड़ा नक्शा सार्वजनिक कर दिया है जो पाकिस्तान के कई हिस्सों को अफगानिस्तान में दर्शाता है. यह नक्शा खोस्त प्रांत के एक समारोह में तालिबान के उप गृह मंत्री मौलवी मोहम्मद नबी ओमारी को भेंट किया गया था. इस नक्शे में डूरंड रेखा को नजरअंदाज करते हुए खैबर पख्तूनख्वा और कई पश्तून बहुल इलाके अफगान क्षेत्र में दिखाए गए हैं. इस कदम ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच पहले से तनावग्रस्त सीमा संबंधों में और बढ़ोतरी की आशंका पैदा कर दी है. 

समारोह में आयोजित परेड और कार्यक्रम में सैन्य शैली की वर्दी और देशभक्ति के गीत भी सुनाई दिए जो पाकिस्तान के खिलाफ चेतावनी वाले लहजे में थे. रिपोर्टों में कहा गया है कि कुछ गीतों में यह भी कहा गया कि वे लाहौर तक अपना झंडा फहराएंगे और इस्लामाबाद को जलाने जैसे तीखे शब्दों का भी इस्तेमाल हुआ. ऐसे में दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद संदेह और अस्थिरता को और तेज करने का काम किया है. 

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सीमा पर क्यों बढ़ सकता है विवाद?

तालिबान का यह नक्शा उस ऐतिहासिक और विवादित डूरंड लाइन को चुनौती देता है जिसे तालिबान के अनेक पदाधिकारी मान्यता नहीं देते हैं. कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों ने पिछले कुछ महीनों में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमावर्ती झड़पों और सैन्य गतिविधियों की जानकारी दी है, जिनका असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ा है. पाकिस्तान सरकार और सैन्य नेतृत्व ने पहले भी सीमा उल्लंघन और अफगान जमीन से होने वाली गतिविधियों पर कड़ा रुख अपनाया है और हाल के दौर में दोनों ओर सैन्य गतिरोध और टकराव की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं.  ऐसे हालात सीमा पर अस्थिरता और बढ़ सकती हैं. 

क्षेत्रीय स्तर पर क्यों है चिंता का विषय?

क्षेत्रीय स्तर पर यह घटना चिंता का विषय बन सकती है क्योंकि इससे सीमा सुरक्षा, शरणार्थी बहाव और द्विपक्षीय वार्ताओं पर नकारात्मक असर पड़ने की संभावना है. कई अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय विश्लेषक इस कदम को ऐसे समय पर खतरनाक मान रहे हैं जब पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कुछ शांति प्रयास और बातचीत भी चल रहे थे. विश्लेषकों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से विवाद सुलझाने की अपील की है. .