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Taliban Morality Law: बदन ढको, गैर मर्दों को देखना भी मत; तालिबान के नए 'नैतिकता कानून' का अफ़गान महिलाओं के लिए क्या मतलब है?

Taliban Morality Law: तालिबान सरकार की ओर से महिलाओं और पुरुषों के लिए औपचारिक 'लैंगिक रंगभेद' वाला कानून लाया गया है. तालिबान के नए 'नैतिकता कानून' में महिलाओं और पुरुषों के लिए कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जिसमें महिलाओं को शरीर के अधिकतर भाग को ढक कर रहने, तेज आवाज में नहीं गाने, गैर मर्दों को ओर नहीं देखने का निर्देश दिया गया है. आइए, जानते हैं कि तालिबान के नए 'नैतिकता कानून' का अफ़गान महिलाओं के लिए क्या मतलब है?

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Taliban Morality Law
Courtesy: pinterest

Taliban Morality Law: तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने अधिकारियों को अफगानिस्तान का 'नैतिकता कानून' लागू करने का निर्देश दिया है. सद्गुण प्रचार (Virtue promotion), दुराचार निवारण और शिकायत सुनवाई मंत्रालय ने 114 पेज का नया नैतिकता कानून पिछले महीने के आखिर में पब्लिश किया है. अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से इस तरह के कानूनों का ये पहला औपचारिक अधिनियमन (Formal enactment) है.

नए कानून के मुताबिक, महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्थानों पर हर समय अपने पूरे शरीर को ढकना अनिवार्य है. साथ ही उन्हें अपने चेहरे के अधिकतर भाग को भी ढकना जरूरी है. एसोसिएटेड प्रेस ने कानून को लेकर कहा कि महिला की आवाज़ को भी इसके दायरे में लाया गया है. महिलाओं को सार्वजनिक रूप से गाना नहीं गाने, पढ़ते या ज़ोर से पढ़ते नहीं सुना जाना चाहिए. द गार्जियन की एक रिपोर्ट में एक प्रावधान का उल्लेख किया गया है जिसमें कहा गया है कि महिलाओं को अपने घरों के अंदर भी गाते या ज़ोर से पढ़ते नहीं सुना जाना चाहिए.

एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, म्यूजिक बजाना और उन पुरुषों और महिलाओं का आपस में मिलना भी प्रतिबंधित है जो रिश्तेदार नहीं हैं. महिलाओं और पुरुषों को एक-दूसरे को देखने से भी मना किया जाता है, अगर वे रक्त या विवाह से संबंधित नहीं हैं. AFP की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोड में पुरुषों को घुटनों से ऊपर शॉर्ट्स नहीं पहनने या अपनी दाढ़ी को बारीकी से ट्रिम नहीं करने की भी सलाह दी गई है. तालिबान के नए नैतिकता कानून को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय की मुख्य प्रवक्ता रवीना शमदासानी ने कहा कि ये कानून महिलाओं को प्रभावी रूप से चेहराविहीन, आवाजविहीन बना देता है.

तालिबान के इस नए कानून के क्या हैं मायने?

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पहले भी तालिबान ने धमकियों, मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और हिरासत, अत्यधिक बल का प्रयोग करके ऐसी नीतियों को लागू किया है. ह्यूमन राइट्स वॉच के महिला अधिकार प्रभाग की एसोसिएट डायरेक्टर हीथर बार ने रॉयटर्स को बताया कि इनमें से बहुत से नियम पहले से ही लागू थे, लेकिन कम औपचारिक रूप से लागू किए गए थे, लेकिन अब उन्हें औपचारिक रूप दिया जा रहा है. ये इस बात का संकेत है कि हम पिछले तीन वर्षों में क्या देख रहे हैं.

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने कहा कि ये संहिता, और भी अधिक दमनकारी उपायों को पेश करती है. नए कानून से सशक्त होकर, तालिबान के नैतिकता निरीक्षकों को मनमाने ढंग से व्यक्तियों को हिरासत में लेने और दंडित करने का व्यापक अधिकार है. आम नागरिकों को उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. उन्होंने कहा कि जो अफगान समाज पहले से भय में था, डरा था, अब उसका माहौल और खराब हो जाएगा.

नए कानून की तुलना पूर्व की तालिबान शासन से कैसे की जा सकती है?

संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने इन उपायों को 'लैंगिक रंगभेद' और पिछले तालिबान शासन (1996-2001) में देखे गए उपायों से चिंताजनक रूप से मिलता-जुलता बताया है. उन्होंने कहा कि सत्ता में वापसी के बाद से तालिबानी समूह ने अपने दृष्टिकोण में कोई बदलाव नहीं किया है. 2001 में 11 सितम्बर के हमलों के बाद अफगानिस्तान पर आक्रमण करने वाली अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं की ओर से तालिबान को सत्ता से खदेड़ दिया गया; हालांकि, समूह को कभी नष्ट नहीं किया जा सका.

जैसे-जैसे अमेरिकी उपस्थिति बढ़ती गई और अमेरिकी समर्थित सरकार को अफगानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित करने में कठिनाई होने लगी. सत्ता-साझाकरण समझौते के लिए कतर की मध्यस्थता में दोहा में अमेरिकी सरकार और तालिबान के बीच कई दौर की वार्ता हुई.

कई लोगों ने तालिबान के साथ बातचीत करने के खिलाफ चेतावनी दी, लेकिन अफ़गानिस्तान से बाहर निकलने के लिए बेताब अमेरिका ने आगे बढ़कर यह कदम उठाया. 2020 में, दोहा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और अमेरिका ने कहा कि वो अफ़गानिस्तान के लोकतंत्र के भविष्य को तय करने के लिए तालिबान और अफ़गान सरकार के बीच बातचीत के बाद अपनी सेना को वापस बुला लेगा.

2021 के मध्य तक तालिबान बलों ने तेज़ी से प्रमुख शहरों में अपनी पकड़ मजबूत कर ली. आखिरी अमेरिकी सेना अराजकता के बीच यहां से निकली और राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी भी देश छोड़कर भाग गए. काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसके प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा कि हमारी बहनों, हमारे पुरुषों के समान अधिकार हैं. उन्होंने आगे कहा कि वे हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे.

हालांकि, कुछ ही दिनों बाद तालिबान ने कक्षा 6 से आगे की लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया. तब से सार्वजनिक रूप से पत्थर मारने, कोड़े मारने और फांसी जैसी सज़ाएं भी दी जा रही हैं. अमेरिका ने तालिबान को अपना समर्थन आंशिक रूप से इस शर्त पर दिया है कि ऐसे उपायों को वापस लिया जाए. लेकिन कई मुस्लिम बहुल देशों और चीन ने शासन को वास्तविक मान्यता दे दी है.