नई दिल्ली: बुधवार रात आसमान में 2025 का सबसे बड़ा और सबसे चमकदार पूर्ण चांद दिखाई देगा. इसे नवंबर सुपरमून या बीवर मून कहा जा रहा है. यह इस साल के तीन सुपरमून में से दूसरा और पृथ्वी के सबसे नजदीक आने वाला चांद है. इसी वजह से यह साल की सबसे बड़ी और रोशन चांदनी वाली रात बनेगी.
जब चांद अपनी कक्षा में पृथ्वी के सबसे पास वाले बिंदु (पेरिगी) पर होता है और उसी समय पूर्णिमा पड़ती है, तो उसे सुपरमून कहा जाता है. चंद्रमा की कक्षा गोल नहीं बल्कि अंडाकार होती है, इसलिए उसकी दूरी हमेशा बदलती रहती है. जब वह पेरिगी पर आता है, तो वह सामान्य पूर्णिमा से लगभग 14% बड़ा और 30% ज़्यादा चमकीला दिखता है.
इस बार नवंबर का सुपरमून पृथ्वी से करीब 3,57,000 किलोमीटर की दूरी पर होगा, यानी औसतन दूरी से लगभग 17,000 मील (लगभग 27,000 किमी) करीब. इस वजह से इसकी चमक और आकार दोनों सामान्य से अधिक होंगे. इस दौरान उसकी रोशनी जमीन पर हल्की परछाइयां बनाएगी और रात का नजारा बेहद सुंदर लगेगा.
नवंबर की पूर्णिमा को 'बीवर मून' कहा जाता है. यह नाम मूल अमेरिकी परंपरा से जुड़ा है. इस समय बीवर सर्दियों से पहले बांध बनाने लगते हैं और पुराने जमाने में लोग इस मौसम में उनके फर के लिए जाल लगाते थे. इसलिए इसे बीवर मून कहा जाने लगा.
इस चांद का सबसे अच्छा दृश्य चंद्रोदय के समय पूर्व दिशा की ओर खुले स्थान से देखा जा सकता है. शहर की रोशनी से दूर किसी पार्क, खेत या नदी किनारे से देखने पर इसका सौंदर्य और निखर जाएगा. दूरबीन की जरूरत नहीं है, लेकिन उससे चांद की सतह के गड्ढे और पैटर्न साफ दिख सकते हैं.
हालांकि दिल्ली और उत्तरी भारत के कई इलाकों में धुंध और प्रदूषण के कारण इसकी चमक थोड़ी कम दिख सकती है, फिर भी साफ आसमान वाले क्षेत्रों में यह दृश्य बेहद मनमोहक रहेगा.