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सूअर का दिल लगवाने वाले दूसरे शख्स की 6 सप्ताह के भीतर हुई मौत

सूअर का दिल लगवाने वाले व्यक्ति की प्रत्यारोपण के 40 दिन बाद मौत हो गई. यह इस तरह का दूसरा मामला है.

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Sagar Bhardwaj
सूअर का दिल लगवाने वाले दूसरे शख्स की 6 सप्ताह के भीतर हुई मौत

Pig Heart Transplant: इंसान को सूअर का दिल लगाकर डॉक्टरों ने मेडिकल साइंस की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया था, लेकिन शायद अब यह आविष्कार फेल होता नजर आ रहा है.

दरअसल, सूअर का दिल लगवाने वाले व्यक्ति की प्रत्यारोपण के 40 दिन बाद मौत हो गई. यह इस तरह का दूसरा मामला है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह सूअर का दिल लगवाने वाले दूसरे व्यक्ति की मौत है.

ट्रांसप्लांट के बाद 6 सप्ताह तक जीवित रहे फॉसेट

खबर के मुताबिक, 58 साल के लॉरेंस फॉसेट के शरीर में 20 सितंबर को सूअर का दिल ट्रांसप्लांट किया गया था. सर्जरी होने के बाद वे 6 सप्ताह तक जीवित रहे और बीते सोमवार को उनकी मौत हो गई. इस सर्जरी के बाद फॉसेट काफी खुश थे और अपने परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बिता रहे थे लेकन हाल ही में अचानक से उनकी तबीयत खराब होने लगी थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल ने बयान जारी कर कहा कि फॉसेट को बचाने के हर संभव प्रयास किए गए लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. आखिरकार 30 अक्टूबर को उन्होंने दम तोड़ दिया.

दोबारा संभव नहीं था हार्ट ट्रांसप्लांट

रिपोर्ट्स के अनुसार, फॉसेट नौसेना से रिटायर्ड लैब टेक्नीशियन थे. जब वह अस्पताल में भर्ती हुए तो उन्हें कई सारी और भी स्वास्थ्य समस्याएं थी, जिसकी वजह से उनका हार्ट ट्रांसप्लांट संभव नहीं था. लॉरेंस फॉसेट की पत्नी ने कहा कि उनके पति जानते थे कि उनके पास बहुत कम समय है. वे इस बात को लेकर चिंतित थे लेकिन उन्होंने कभी सोचा नहीं था कि वे इतने समय तक जीवित रहेंगे.

सूअर का दिल लगवाने वाले दूसरे व्यक्ति की मौत

इससे पहले 2022 में डॉक्टरों में भी एक इंसान के शरीर में सूअर का दिल लगाया था लेकिन उस इंसान की भी दो महीने बाद मौत हो गई थी. हालांकि डॉक्टरों ने उसकी मौत की वजह नहीं बताई थी, उन्होंने केवल यह कहा था कि डेविड की कई दिन पहले ही तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई थी.

हालांकि यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल स्कूल ने ट्रांसप्लांट के बाद बयान जारी कर कहा था कि ट्रांसप्लांट के बाद भी मरीज की बीमारी का इलाज फिलहाल अभी निश्चित नहीं है लेकिन जानवरों से इंसानों में ट्रांसप्लांट की यह प्रक्रिया मील का पत्थर साबित होगी.

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