S Jaishankar UN Speech: संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने पाकिस्तान को 'आतंकवाद का केंद्र' भी बताया है. उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत सभी भारत की जनता को नमस्कार करते हुए किया.
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के बारे में बोलते हुए कहा कि हम इस अद्वितीय संस्था की स्थापना के आठ दशक बाद यहां इकट्ठा हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र चार्टर केवल युद्धों को रोकता ही नहीं है बल्कि शांति स्थापित करता है. न केवल अधिकारों की रक्षा करता है बल्कि मानव की गरिमा को भी बनाए रखने का आह्वान भी करता है.
भारतीय विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि आजादी के बाद भी भारत 'आतंकवाद' जैसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. ऐसा इसलिए क्यों उसका पड़ोसी देश आतंकवाद का केंद्र रहा है. इस देश का लिंक कई बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों से जुड़ा रहा है. उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भी ऐसे कई आतंकवादियों के नाम सूची में दर्ज है, जो हमारे पड़ोसी देश के नागरिक है. उन्होंने एक बार फिर पहलगाम हमले की बर्बरता का जिक्र करते हुए कहा कि इन आतंकवादियों ने इस साल पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी. जयशंकर ने यह भी कहा कि जब कोई देश खुलेआम आतंकवाद को अपनी राजकीय नीति घोषित बताता है, जब आतंकवादी अड्डे औद्योगिक पैमाने पर संचालित होते हैं, जब आतंकवादियों का सार्वजनिक रूप से महिमामंडन किया जाता है, तो ऐसी कार्रवाइयों की स्पष्ट रूप से निंदा की जानी चाहिए. आतंकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाना बेहद जरूरी है, भले ही प्रमुख आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाया जाए.
एस. जयशंकर ने चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों का समर्थन करते हैं आगे चल कर यह उन्हें ही नुकसान पहुंचाने वाले हैं. आतंकवाद पर भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए, विदेश मंत्री ने आगे कहा कि देश अपने लोगों की रक्षा करने और देश-विदेश में उनके हितों की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है. भारत हमेशा अपनी पसंद की स्वतंत्रता बनाए रखेगा. जयशंकर ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र 'संकट की स्थिति' में है. उन्होंने आगे कहा कि एक निष्पक्ष रिपोर्ट कार्ड दिखाएगा कि संयुक्त राष्ट्र संकट की स्थिति में है. जब संघर्षों से शांति खतरे में होती है, जब संसाधनों की कमी से विकास पटरी से उतर जाता है, जब आतंकवाद द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है, तो संयुक्त राष्ट्र अवरुद्ध रहता है. जैसे-जैसे साझा आधार बनाने की इसकी क्षमता कम होती जाती है, बहुपक्षवाद में विश्वास भी कम होता जाता है. सुधारों का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि परिषद की स्थायी और अस्थायी, दोनों सदस्यता का विस्तार किया जाना चाहिए. भारत बड़ी ज़िम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार है.