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'मैं ट्रंप का सम्मान करता हूं लेकिन...', अमेरिकी राष्ट्रपति के यूक्रेन में शांति के प्रयासों पर बोले पुतिन

रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप को साहसी और शांति चाहने वाला नेता बताया है. इसके साथ ही यूक्रेन युद्ध, नाटो विस्तार और पश्चिमी देशों की नीतियों पर कड़ी टिप्पणी भी की है. उन्होंने रूस-यूक्रेन वार्ता को लेकर भी बात की है. साथ ही अगली यूरेशियन समिट की घोषणा की.

Kuldeep Sharma
Edited By: Kuldeep Sharma
ट्रंप-पुतिन
Courtesy: web

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप की सराहना करते हुए कहा कि "मैं ट्रंप का बहुत सम्मान करता हूं. वे एक साहसी इंसान हैं, जो दो बार हत्या के प्रयासों से सुरक्षित बचे हैं. इसके साथ ही पुतिन ने यह भी कहा कि उन्हें विश्वास है कि ट्रंप यूक्रेन और मध्य पूर्व में शांति लाना चाहते हैं, हालांकि यह उनके लिए उतना आसान नहीं होगा जितना उन्होंने सोचा होगा. पुतिन ने ट्रंप की मंशा को सच्चा बताया लेकिन साथ ही यह भी माना कि यह रास्ता चुनौतीपूर्ण होगा.

पीटर्सबर्ग में होगी यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन समिट

इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि अगली यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन समिट नए साल से पहले सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित की जाएगी. पुतिन ने रूस और यूक्रेन के बीच शांति प्रस्तावों को "एक-दूसरे के बिलकुल विपरीत" बताया, लेकिन कहा कि बातचीत का उद्देश्य ही यही है कि हम अपने मतभेदों को घटाएं. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कि रूस अब तक 6,000 यूक्रेनी सैनिकों के शव वापस कर चुका है और 3,000 और लौटाने को तैयार है. इसके बाद रूस तीसरे दौर की बातचीत के लिए भी इच्छुक है.

पश्चिमी देशों पर लगाया धोखे का आरोप

पुतिन ने यूरोप पर निशाना साधते हुए कहा कि जो देश ‘रूसी आक्रामकता’ की बात करते हैं, उन्हें पहले खुद को देखना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने नाटो के विस्तार को लेकर पश्चिमी देशों पर धोखा देने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि रूस से वादा किया गया था कि नाटो एक इंच भी पूर्व की ओर नहीं बढ़ेगा, लेकिन इसके बावजूद लगातार विस्तार होता गया. पुतिन ने यह भी बताया कि रूस रक्षा खर्च में कटौती की योजना बना रहा है, जबकि पश्चिमी देश इसे बढ़ा रहे हैं. उनके अनुसार इससे उन्हें सुरक्षा नहीं मिलेगी, बल्कि उनके समाज और अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि कठोर प्रतिबंधों से पश्चिम को ही ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था को अब भी तेल और गैस की जरूरत है.

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