यूक्रेन से जारी जंक के बीच रूस के रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलोसोव शुक्रवार को उत्तर कोरिया पहुंचे, जहां उन्होंने वहां के सैन्य और राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की. यूक्रेन से जारी भीषण युद्ध के मद्देनजर यह यात्रा रूस और उत्तर कोरिया के बीच बढ़ते सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है.
क्या है रूस का घातक प्लान
रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी तस्वीरों में बेलोसोव को उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री नो क्वांग चोल के साथ पाइओंगयांग एयरपोर्ट पर लाल कालीन पर चलते हुए देखा गया. इस दौरान उत्तर कोरियाई सैन्य अधिकारी एक बैनर के नीचे ताली बजाते हुए दिखाई दिए, जिस पर लिखा था, 'लड़ते हुए रूस की सेना और जनता के साथ पूर्ण समर्थन और एकजुटता.'
सैन्य सहयोग में वृद्धि
बेलोसोव ने अपनी यात्रा के दौरान कहा कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग तेजी से बढ़ रहा है. उन्होंने पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच जून में हुए बैठक में हुए रणनीतिक साझेदारी समझौते की सराहना की. उन्होंने कहा कि यह समझौता क्षेत्र में शक्ति संतुलन बनाए रखने और युद्ध के जोखिम को कम करने, खासकर परमाणु हथियारों से संबंधित मुद्दों पर, के लिए बनाया गया था.
बेलोसोव ने यह भी कहा कि जून की बैठक ने दोनों देशों के नेताओं के बीच “उच्चतम स्तर का आपसी विश्वास” प्रदर्शित किया और यह संकेत है कि दोनों देशों की आपसी सहयोग को और बढ़ाने की इच्छा है, खासकर अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में जटिल परिस्थितियों के बीच.
उत्तर कोरिया का समर्थन
उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्री नो क्वांग चोल ने भी दोनों देशों के सैन्य सहयोग की सराहना की और यूक्रेन में रूस के युद्ध को सही ठहराते हुए इसे रूस के संप्रभु अधिकारों और सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए एक "न्यायपूर्ण संघर्ष" बताया. यह बयान दोनों देशों के बीच बढ़ते गठजोड़ और रूस के यूक्रेन युद्ध के समर्थन को स्पष्ट करता है.
क्षेत्रीय तनाव
यह यात्रा उस समय हो रही है जब दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने हाल ही में एक यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी. दक्षिण कोरिया के सियोल में हुए इस सम्मेलन में रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने उत्तर कोरिया द्वारा रूस की मदद के लिए हजारों सैनिक भेजने को लेकर दोनों देशों को मिलकर काउंटर उपाय तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया था.
इससे यह स्पष्ट होता है कि रूस और उत्तर कोरिया के बीच सैन्य सहयोग बढ़ने से क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति में और तनाव आ सकता है, और यह दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम साबित हो सकता है.