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India Daily

पाकिस्तान में आसिम मुनीर का होगा तख्तापलट! असीमित शक्तियां मिलने से नाराज जनता सड़कों पर उतरी

पाकिस्तान में सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को नई शक्तियां देने वाले प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन को लेकर भारी विरोध भड़क गया है. रविवार को विपक्षी दलों ने देशभर में “तानाशाही मुर्दाबाद” के नारे लगाते हुए प्रदर्शन किए.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
asim munir
Courtesy: @jannat_khar

पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, जहां प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार 27वें संविधान संशोधन विधेयक को आगे बढ़ा रही है. इस संशोधन से सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को असाधारण शक्तियां मिलने वाली हैं. विपक्षी दलों ने इसे “तानाशाही को संस्थागत रूप देने की कोशिश” बताया है. रविवार को इस बिल के खिलाफ पाकिस्तान के कई शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. विरोधी नेताओं ने इसे देश के संविधान पर सीधा हमला करार दिया है.

सेना प्रमुख को मिलेगा ‘चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस’ का दर्जा

संशोधन के अनुसार, मौजूदा सेना प्रमुख आसिम मुनीर को नया पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेस (CDF) बनाया जाएगा. इस पद के तहत वे सेना, नौसेना और वायुसेना के संवैधानिक प्रमुख बन जाएंगे. इसके अलावा, उन्हें आजीवन विशेषाधिकार दिए जाएंगे और उनके खिलाफ कोई भी कानूनी मामला दायर नहीं किया जा सकेगा. विपक्ष का कहना है कि यह “आजीवन सुरक्षा कवच” मुनीर की गलतियों को ढकने का प्रयास है.

न्यायपालिका की शक्तियां भी घटेंगी

27वें संशोधन के तहत एक नया संघीय संवैधानिक न्यायालय (Federal Constitutional Court) बनाया जाएगा, जो सुप्रीम कोर्ट की कई शक्तियां अपने हाथ में ले लेगा. यह अदालत संघीय और प्रांतीय विवादों की सुनवाई करेगी. विश्लेषकों के मुताबिक, इस कदम से पाकिस्तान की न्यायपालिका “नाम मात्र” रह जाएगी. वरिष्ठ वकीलों ने इसे “सुप्रीम कोर्ट का पतन” बताया है.

विपक्षी गठबंधन सड़कों पर उतरा

‘तहरीक-ए-तहफ्फुज-ए-आईन-ए-पाकिस्तान’ नामक विपक्षी गठबंधन ने देशव्यापी विरोध की घोषणा की है. इस गठबंधन में पीटीआई, मजलिस वहदत-ए-मुस्लिमीन, पीकेएमएपी, बीएनपी-मेंगल और सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल शामिल हैं. पीकेएमएपी प्रमुख महमूद खान अचकजई ने कहा, “हमारे नारे हैं  ‘डेमोक्रेसी जिंदाबाद’ और ‘तानाशाही मुर्दाबाद’. हमारी तीसरी मांग राजनीतिक कैदियों की रिहाई है.”

विशेषज्ञों की चेतावनी और बढ़ता राजनीतिक संकट

राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह संशोधन पाकिस्तान के संविधान को ही बदल देगा. वरिष्ठ विश्लेषक हबीब अकबर ने कहा, “यह ज़िया-उल-हक के 8वें संशोधन जैसा कदम है, जो अंत में उसी पर भारी पड़ा.” अब यह बिल सीनेट और नेशनल असेंबली से दो-तिहाई बहुमत से पास होना बाकी है. आने वाले दिनों में पाकिस्तान का राजनीतिक माहौल और भी गरमाने की संभावना है.