Issue of Kashmiri Pandits : कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की 34वीं बरसी से पहले ब्रिटिश संसद में पीड़ितों का न्याय दिलाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया है. यह प्रस्ताव 19 जनवरी से पहले आया है. 19 जनवरी को कश्मीरी पंडित पलायन दिवस मानते हैं. ब्रिटिश संसद के तीन सदस्यों ने एक प्रस्ताव पेश करके भारत सरकार से कश्मीरी पंडित समुदाय को बहुप्रतीक्षित न्याय दिलाने की मांग की है. इसके साथ ही ब्रिटिश सांसदों ने भी नरसंहार के पीड़ितों के लिए प्रतिबद्धता बढ़ाने का आग्रह किया है.
ब्रिटिश संसद की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कंजर्वेटिव संसद बाब ब्लैकमैन, डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी के नेता जिम शैनन और लेबर पार्टी के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने बीती 15 जनवरी को 2023-24 के लिए एक प्रस्ताव पेश किया. इस प्रस्ताव को 'जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की 34वीं बरसी' नाम दिया है.
इस पेश हुए प्रस्ताव पर तीन सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं. इसमें अभी तक कोई भी संशोधन नहीं किया गय है. प्रस्ताव में लिखा है कि यह सदन जनवरी 1990 में सीमा पार इस्लामी आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा जम्मू-कश्मीर में रहने वाली निर्दोष कश्मीरी पंडितों के आबादी पर समन्वित हमलों की 34वीं बरसी को दुख और निराशा के साथ मनाता है. इसके साथ ही यह सदन नरसंहार में मारे गए लोगों, दुष्कर्म पीड़ितों, घायलों और पलायन करने वाले लोगों के परिवारों और मित्रों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता है.
इसके साथ ही संसद में पेश हुए प्रस्ताव में जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदू समुदायों की संपत्तियों पर हुए कब्जे पर भी चिंता व्यक्त की है. इसमें भारत सरकार से अनुरोध किया गया है कि वे जम्मू कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार को स्वीकार करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करें. इसके साथ ही भारतीय संसद में कश्मीर नरसंहार अपराध दंड और अत्याचार निवारक विधेयक पास कर कश्मीरी पंडितों को न्याय दिलाएं.