PM Modi Namibia visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अपनी पांच देशों की विदेश यात्रा के अंतिम चरण में नामीबिया पहुंचे. यह दौरा ऐतिहासिक है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी पहली बार इस अफ्रीकी देश की यात्रा पर आए हैं. उनका स्वागत नामीबिया की राजधानी विंडहोक में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ किया गया, जहां उन्होंने नामीबियाई ढोल बजाकर वहां की सांस्कृतिक परंपरा में भागीदारी भी दिखाई.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की तीसरी नामीबिया यात्रा है, जबकि मोदी की यह इस देश में पहली आधिकारिक यात्रा है. उन्हें यह निमंत्रण नामीबिया की राष्ट्रपति नेटुम्बो नंदी-नदैतवा की ओर से मिला था. दोनों देशों के संबंधों को नई ऊर्जा देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति नंदी-नदैतवा के बीच द्विपक्षीय वार्ता आयोजित की जाएगी, जिसमें व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, शिक्षा और वन्यजीव संरक्षण जैसे अहम विषयों पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी.
#WATCH | PM Narendra Modi receives traditional welcome on his arrival in Windhoek, Namibia
The PM tries his hand at playing the Namibian traditional drums.
(video source: DD) pic.twitter.com/QnnoCeVLRx— ANI (@ANI) July 9, 2025Also Read
यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी देश के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति डॉ. सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि देंगे, जिनका नामीबिया के स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान रहा है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री के नामीबियाई संसद में भाषण देने की भी संभावना है, जिसमें वे भारत-अफ्रीका संबंधों, साझा इतिहास और सहयोग के नए आयामों पर प्रकाश डाल सकते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को भारत-अफ्रीका संबंधों को और मजबूत करने के एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. नामीबिया, जो भारत के साथ पारंपरिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है, हाल ही में भारतीय चीता परियोजना में भी भागीदार रहा है. इस सहयोग से दोनों देशों के बीच पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण में भी रणनीतिक भागीदारी बढ़ी है.
इस बहुपक्षीय यात्रा की शुरुआत प्रधानमंत्री ने घाना से की थी, जिसके बाद वे त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और ब्राजील भी गए. यह दौरा भारत की वैश्विक भूमिका और विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारियों को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है. प्रधानमंत्री मोदी की नामीबिया यात्रा से न केवल दोनों देशों के आपसी संबंध प्रगाढ़ होंगे, बल्कि अफ्रीकी महाद्वीप में भारत की कूटनीतिक पहुंच और प्रभाव को भी नया बल मिलेगा.