US Japan Trade Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जापान के साथ बड़े व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. इस समझौते के तहत अब अमेरिका में आने वाले जापानी आयात पर 25 फीसदी की बजाय 15 फीसदी का बेसलाइन टैरिफ लगाया जाएगा. हालांकि ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, एयरोस्पेस उत्पाद, जेनेरिक दवाएं और घरेलू स्तर पर उपलब्ध न होने वाले प्राकृतिक संसाधनों को इस टैरिफ से छूट दी गई है. ट्रंप ने इसे अमेरिका-जापान व्यापार संबंधों के नए युग की शुरुआत बताया.
ट्रंप प्रशासन ने शुरुआती दौर में जापान और दक्षिण कोरिया पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी. उस समय डील पर बातचीत भी कई बार अटक गई थी लेकिन लंबे इंतजार के बाद आखिरकार यह समझौता लागू हो गया और 15 फीसदी बेसलाइन टैरिफ पर सहमति बनी.
🇺🇸🤝🇯🇵@POTUS has signed an Executive Order officially implementing the U.S.-Japan Trade Agreement. pic.twitter.com/BsmH1x2wGk
— The White House (@WhiteHouse) September 4, 2025Also Read
व्हाइट हाउस ने बयान जारी कर कहा कि यह ढांचा पारस्परिकता और साझा राष्ट्रीय हितों पर आधारित है. इस समझौते की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जापान अमेरिका में 550 अरब डॉलर का निवेश करेगा. इसे अमेरिकी इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा निवेश करार दिया जा रहा है. प्रशासन का दावा है कि इस निवेश से लाखों रोजगार पैदा होंगे, अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती मिलेगी और राष्ट्रीय सुरक्षा को लाभ होगा.
समझौते के तहत जापान अमेरिकी कृषि उत्पादों की भी बड़ी मात्रा में खरीद करेगा. इनमें चावल, मक्का, सोयाबीन, उर्वरक और बायोएथेनॉल शामिल हैं. टोक्यो ने अपने चावल आयात में 75 फीसदी की बढ़ोतरी करने का वादा किया है, जिससे अमेरिका को हर साल लगभग 8 अरब डॉलर का अतिरिक्त कृषि निर्यात होगा. इसके अलावा जापान अमेरिकी निर्मित कमर्शियल एयरक्राफ्ट और रक्षा उपकरण भी खरीदेगा.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह समझौता न केवल दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को नई ताकत देगा, बल्कि अमेरिका-जापान संबंधों को और गहरा करेगा. आदेश में कहा गया है कि यह व्यवस्था अमेरिकी प्रोडक्ट्स के लिए समान अवसर पैदा करती है, राष्ट्रीय सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखती है और निवेश-आधारित उत्पादन को बढ़ावा देती है. वहीं जापानी वार्ताकार अकाजावा रयोसेई भी वॉशिंगटन में मौजूद थे जब ट्रंप ने इस समझौते को लागू करने वाला आदेश साइन किया. माना जा रहा है कि यह डील आने वाले समय में एशिया और अमेरिका के बीच आर्थिक रिश्तों में नया अध्याय लिखेगी.