पोलैंड के कई प्रांतों में ड्रोन और अज्ञात वस्तुओं के मलबे मिलने के बाद यूरोप में सुरक्षा को लेकर बड़ी चिंता खड़ी हो गई है. पोलैंड सरकार का कहना है कि यह घटना सीधे-सीधे एक नई रेखा को पार करने जैसी है, जबकि रूस ने इस मामले से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार किया है.
इस घटनाक्रम ने यूरोपीय नेताओं को भी गहरी चिंता में डाल दिया है, जिन्होंने इसे यूरोप की शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है.
रूस के राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन ने पोलैंड के आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया. प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि अब तक कोई सबूत सामने नहीं आया है कि ये ड्रोन रूसी थे. उन्होंने आरोप लगाया कि यूरोपीय संघ और नाटो के नेता लगभग रोज ही रूस पर आरोप लगाते हैं और अक्सर बिना किसी ठोस आधार के. क्रेमलिन ने यह भी कहा कि ड्रोन हमलों से जुड़े सभी सवाल अब रूस के रक्षा मंत्रालय को भेज दिए गए हैं.
पोलैंड के गृह मंत्रालय ने जानकारी दी कि लुब्लिन प्रांत में बेलारूस और यूक्रेन की सीमा के नजदीक पांच ड्रोन और उनका मलबा बरामद किया गया. इसके अलावा दो और ड्रोन पोलैंड के भीतर गहराई तक मिले एक मिनिस्ज़कोव (लॉड्ज़ प्रांत) में जो बेलारूस सीमा से लगभग 250 किलोमीटर दूर है, और दूसरा एल्ब्लॉन्ग के पास बाल्टिक तट के नजदीक. अधिकारियों ने कहा कि जांच अभी जारी है और सुरक्षा बल उच्च सतर्कता पर हैं.
इन घटनाओं पर पूरे यूरोप से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसे 'पूरी तरह अस्वीकार्य' करार दिया और कहा कि वे जल्द ही नाटो महासचिव मार्क रुटे से मुलाकात करेंगे. वहीं, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा ने चेतावनी दी कि 'यूरोप में शांति और सुरक्षा को हल्के में नहीं लिया जा सकता,' और रक्षा क्षेत्र में अधिक निवेश का आह्वान किया.
चेक गणराज्य के प्रधानमंत्री पेत्र फियाला ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि ये हमले संयोग से हुए हों. उन्होंने रूस पर आरोप लगाया कि वह बार-बार यह परख रहा है कि वह कितनी दूर तक जा सकता है. वहीं, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब ने कहा कि रूस जानबूझकर तनाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और पोलैंड की हवाई सीमा का उल्लंघन कर उसकी जिम्मेदारी उठानी चाहिए. यूरोपीय नेताओं का कहना है कि यह घटनाक्रम पूरे क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने वाला है.
इस पूरे मामले ने यूरोप में पहले से मौजूद तनाव को और गहरा दिया है. पोलैंड सरकार जहां इसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का सबसे खतरनाक समय मान रही है, वहीं रूस लगातार आरोपों से बचने की कोशिश कर रहा है. यूरोप का राजनीतिक और सुरक्षा तंत्र इस स्थिति को हल्के में नहीं ले रहा और रक्षा तैयारियों को तेज करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है.