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POK में हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर विरोध प्रदर्शन, भारत ने यूएन में उठाया मुद्दा

पीओके में लगातार मनवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, जिसके लिए विरोध प्रदर्शन भी किए जा हे हैं. भारत के स्थायी प्रतिनिधि, परवथानेनी हरीश ने इसे लेकर यूएन में बात की.

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Shilpa Srivastava

नई दिल्ली: पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओके) के इलाकों में लगातार मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है, जिसके लिए भारत ने पाकिस्तान की आलोचना की है. 80वें संयुक्त राष्ट्र दिवस पर हुई एक खुली बहस के दौरान भारत के स्थायी प्रतिनिधि, परवथानेनी हरीश ने बात की. उन्होंने पाकिस्तान से आग्रह किया कि इस क्षेत्र में हो रही हिंसा को रोका जाए. 

हरीश ने कहा कि पीओके में लोग सैन्य कंट्रोल, यातना और पाकिस्तान द्वारा लोकल संसाधनों का गलत इस्तेमाल करने का खुलकर विरोध कर रहे हैं. उन्होंने इस्लामाबाद से अपना कब्जा खत्म करने और स्थानीय लोगों के बुनियादी मानवाधिकारों का सम्मान देने की भी बात कही. 

पाकिस्तान में अधिकार और स्वतंत्रता नहीं

हरीश ने कहा है कि जम्मू और कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग है. वहां जितने भी लोग रहते हैं वो भारत के संविधान के तहत स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे अधिकार और स्वतंत्रता पाकिस्तान में नहीं दी जाती हैं और लोगों को लोकतंत्र के बजाय अक्सर दमन का सामना करना पड़ता है.

किसने किया ये विरोध प्रदर्शन

हाल ही में पीओके में गंभीर अशांति फैल गई है. स्थिति तब हिंसक हो गई, जब पाकिस्तानी सेना ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं. इसमें कई नागरिक मारे गए. ये विरोध प्रदर्शन ज्वाइंट अवामी एक्शन कमेटी (JAAC) द्वारा किया गया था. इस दौरान स्थानीय निवासी अपने बुनियादी अधिकारों और उनके साथ उचित व्यवहार की मांग कर रहे थे. 

प्रदर्शन के दौरान कौन-कौन सी सर्विसेज रहीं बंद?

बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी सरकार पर PoK का शोषण करने का आरोप लगाया है. साथ ही लोगों की जरूरतों को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया. इस दौरान पूरे एरिया में कई दिनों तक दुकानें, बाजार और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद रहे. पाकिस्तानी सरकार ने PoK में हजारों अतिरिक्त सैनिक भेजकर और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत को रोकने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया.

यहां पर कई दिनों तक तनाव चलता रहा, जिसके बाद एक टेम्पररी शांति समझौता हुआ. इस समझौते के तहत पाकिस्तानी सरकार प्रदर्शनकारियों की कुछ मांगों पर सहमत हो गई. हालांकि, ऐसा नहीं है कि स्थिति सुधर गई है, स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है.