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US Pakistan Relations: 'ओसामा जैसी जुबान, आतंकी देश घोषित करो', पाकिस्तान आर्मी चीफ आसिम मुनीर पर बरसे पूर्व पेंटागन अधिकारी

माइकल रुबिन ने कहा कि आसिम मुनीर का हालिया बयान बिल्कुल उसी अंदाज का है जैसा ओसामा बिन लादेन दिया करता था. उन्होंने इसे दुनिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया.

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Edited By: Reepu Kumari
Pakistan Army Chief Asim Munir
Courtesy: Pinterest

US Pakistan Relations: पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर के हालिया परमाणु हमले वाले बयान ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भूचाल ला दिया है. अमेरिका से आई तीखी प्रतिक्रिया ने पाकिस्तान की छवि पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रुबिन ने न केवल इस बयान को अस्वीकार्य बताया, बल्कि पाकिस्तान को आतंकी देश घोषित करने की भी खुली मांग कर डाली है.

रुबिन का कहना है कि आसिम मुनीर की भाषा हमें अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के दौर की याद दिलाती है. उन्होंने साफ कहा कि पाकिस्तान को ‘प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी’ का दर्जा खत्म कर देना चाहिए और उसे ‘स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म’ की सूची में डालना चाहिए. उनके मुताबिक, पाकिस्तान अब एक जिम्मेदार देश के रूप में व्यवहार करने में नाकाम साबित हो चुका है.

ओसामा जैसी बयानबाज़ी का आरोप

माइकल रुबिन ने कहा कि आसिम मुनीर का हालिया बयान बिल्कुल उसी अंदाज का है जैसा ओसामा बिन लादेन दिया करता था. उन्होंने इसे दुनिया की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया.

गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा खत्म करने की मांग

रुबिन के मुताबिक, पाकिस्तान को पहला ऐसा देश होना चाहिए जिसे गैर-नाटो सहयोगी का दर्जा हटाकर आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों की सूची में डाल दिया जाए. उन्होंने कहा कि अब अमेरिका को पाकिस्तान के साथ अपनी सैन्य और कूटनीतिक साझेदारी पर पुनर्विचार करना चाहिए.

अमेरिकी जनरलों पर उठे सवाल

रुबिन ने हैरानी जताई कि जब आसिम मुनीर ने अमेरिकी धरती पर ऐसी धमकी दी, तो अमेरिकी जनरलों ने तत्काल प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी. उन्होंने सुझाव दिया कि जिन अधिकारियों ने इस बयान पर वॉकआउट नहीं किया, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

पर्सोना नॉन ग्रेटा घोषित करने की सिफारिश

रुबिन ने सिफारिश की कि जब तक पाकिस्तान आधिकारिक रूप से माफी नहीं मांगता और बयान वापस नहीं लेता, तब तक आसिम मुनीर और अन्य पाकिस्तानी अधिकारियों को अमेरिका में अवांछित व्यक्ति घोषित कर दिया जाए और उन्हें वीजा न दिया जाए.

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