Pakistan government and Lashkars links: कराची से सामने आईं नई तस्वीरों ने एक बार फिर पाकिस्तान की सेना, सरकार और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के बीच गहरे रिश्तों को उजागर किया है. इन तस्वीरों में लश्कर के आतंकवादी सैन्य वर्दी में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें देखते दिखाई दे रहे हैं. यह दृश्य पाकिस्तान में राज्य प्रायोजित आतंकवाद के गंभीर सवाल खड़े करता है.
कराची की तस्वीरों में 9 लश्कर आतंकवादी सैन्य वर्दी में दिखे, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरें देखते दिखाई दे रहे हैं. . इससे पहले हैदराबाद (पाकिस्तान) में भी इसी तरह की गतिविधियां देखी गई थीं. लश्कर आतंकवादी बंद कमरों में प्रोजेक्टर और लाउडस्पीकर के जरिए पीएम मोदी के वीडियो देखते पाए गए.
पाकिस्तानी मंत्री और आतंकियों की साठगांठ
पाकिस्तान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री अताउल्लाह तरार का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वे इस्लामाबाद के सनोबर इंस्टीट्यूट में लश्कर आतंकियों के साथ गोलमेज बैठक में शामिल हैं. इस बैठक में "ऑपरेशन सिंदूर" और "ऑपरेशन बुन्याद अल-मर्सस" जैसे संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा हुई. वीडियो में एक दाढ़ी वाला लश्कर आतंकी एक महिला के बगल में बैठा दिखाई देता है, जो सरकार और आतंकियों के बीच खुले सहयोग की पुष्टि करता है. यह खुलासा पाकिस्तान की छवि को और धूमिल करता है.
याकूब शेख: आतंक का चेहरा
इन तस्वीरों में कारी मोहम्मद याकूब शेख सबसे प्रमुख चेहरा है. अमेरिका द्वारा नामित यह आतंकी 2021 के पहलगाम हमले से जुड़ा है. लश्कर का वरिष्ठ सदस्य याकूब लाहौर में धन उगाहने, भर्ती और राजनीतिक प्रचार में सक्रिय है. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में उसे भारत के खिलाफ जिहाद और मिसाइल हमलों की धमकी देते देखा गया है. उसकी मौजूदगी सरकारी मंचों पर और गंभीर सवाल उठाती है.
आईएसआई और सेना की नई साजिश
पूर्व पाकिस्तानी मेजर आदिल रजा ने दावा किया है कि आईएसआई और सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के जरिए भारत के खिलाफ छद्म युद्ध की योजना बना रहे हैं. उन्होंने चेतावनी दी, "पाकिस्तान एक समेकित आतंकी नेटवर्क के जरिए भारत के खिलाफ अपनी छद्म युद्ध रणनीति को फिर से जिंदा कर रहा है." यह बयान वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बन गया है.
अंतरराष्ट्रीय दबाव में पाकिस्तान
याकूब शेख को सरकारी सम्मेलन में "मुख्य अतिथि" के रूप में देखा जाना और मंत्री अताउल्लाह तरार की आतंकियों के साथ मौजूदगी ने पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर किया है. आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए पहले से ही अंतरराष्ट्रीय दबाव झेल रहे पाकिस्तान की यह हरकत उसे और अलग-थलग कर सकती है.