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Pakistan Elections: भारत के लिए कितने 'शरीफ' साबित होंगे पाकिस्तान के होने वाले PM शहबाज, क्या अब सुधरेंगे रिश्ते?

Pakistan Elections 2024: पाकिस्तान में आम चुनाव हो चुके हैं. 8 फरवरी को नतीजे भी आ चुके हैं. शहबाज शरीफ के फिर से प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि अब भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों में सुधार होगा या नहीं?

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Pakistan Elections 2024: भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक सप्ताह पहले ही आम चुनावों के नतीजे जारी हुए हैं. हालांकि इन नतीजों में पाकिस्तान की तीनों प्रमुख पार्टियों को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) ने 79 सीटें, बिलावल भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने 54 सीटें और जेल में बंद इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने 92 सीटें जीती हैं. 

ऐसे में नवाज और बिलावल की पार्टियां गठबंधन से पाकिस्तान में सरकार बनाने जा रही हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ के नाम मुहर लगी है. ऐसे में सवाल उठता है कि भारत के लिए शहबाज शरीफ कितने 'शरीफ' साबित होंगे? क्या अब हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते सुधर पाएंगे?

अगस्त 2023 में तत्कालीन पीएम शहबाज शरीफ ने कही थी ये बात

इसके लिए आपको करीब छह महीने पीछे जाने की जरूरत होगी. अगस्त 2023 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ थे. भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे संबंध भी वैसे ही चल रहे थे. इसी दौरान पाकिस्तान में एक बिजनेस समिट हुआ. शहबाज शरीफ ने इस कार्यक्रम में शिकरत की. यहां एक सवाल के जवाब में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान तब तक एक सामान्य पड़ोसी नहीं हो सकते हैं, जब तक दोनों देशों के बीच एक सार्थक चर्चा न हो. 

शहबाज शरीफ मानते हैं युद्ध किसी समस्या का विकल्प नहीं

एक पाकिस्तानी न्यूज पेपर को दिए इंटरव्यू में शहबाज शरीफ ने कहा था कि अगर भारत गंभीर मामलों पर करना चाहता है तो पाकिस्तान भी तैयार है. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि भारत और पाकिस्तान युद्ध के माध्यम से किसी भी मामलों का निपटारा नहीं कर सकते हैं. शरीफ ने कहा था कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है. इस बात पर जोर दिया था कि पाकिस्तान के पास परमाणु शक्ति अपने देश के रक्षा उद्देश्यों के लिए है. इस बात को उस वक्त पाकिस्तान की ओर से भारत के साथ बातचीत की पेशकश करार दिया गया था.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता बागची ने दिया था ये जवाब 

पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से आई इस टिप्पणी के बाद भारत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी. उस वक्त विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत शुरू से एक मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है, बागची ने इस बात पर भी जोर दिया था कि पहले पाकिस्तान को बातचीत का माहौल तैयार करना होगा. बागची ने कहा था कि पाकिस्तान को पहले आतंकवाद को खत्म करना होगा. पाकिस्तान में सक्रिय जैश-ए-मोहम्मद पर कार्रवाई करनी होगी. हालांकि दोनों देशों की ओर से बयानों का दौर उस वक्त ही थम गया था. 

आतंकवाद और आर्थिक संकट की मार झेल रहा है पाकिस्तान

अब पाकिस्तान में फिर से शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि क्या शहबाज शरीफ उस वक्त की गई बात फिर से दोहराएंगे? क्या पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ कोई कदम उठाते हुए भारत के साथ बातचीत का माहौल तैयार कर पाएंगे?

आतंकवाद के दंश और भीषण आर्थिक संकट की मार से जूझ रहे पाकिस्तान को उभार पाएंगे? भविष्य में देखने वाली बात ये होगी कि अब शहबाज शरीफ उसी बेहाल अर्थव्यवस्था के साथ पाकिस्तान को चलाएंगे या फिर बेहतर विदेश और आर्थिक नीतियों में सुधार करके पाकिस्तान का कुछ भला करेंगे. साथ ही भारत के साथ संबंधों की कहानी में क्या मोड़ ला सकते हैं.