Pakistan Saudi Defence Pact: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार देर रात दिए एक इंटरव्यू में कहा कि उनके देश की परमाणु क्षमताएं अब सऊदी अरब को भी उपलब्ध होंगी. यह ऐलान पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए नए रक्षा समझौते के बाद आया है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि किसी एक देश पर हमला दोनों पर हमले के बराबर माना जाएगा और दोनों मिलकर जवाब देंगे.
आसिफ ने मीडिया से बातचीत में कहा, 'हमारी क्षमताएं अब इस समझौते के तहत उपलब्ध होंगी. हमारे पास वह सब कुछ है जो किसी भी तरह के युद्धक्षेत्र में काम आ सकता है.' उन्होंने इसे दोनों देशों के बीच एक 'छत्र व्यवस्था; करार दिया, जिसके तहत किसी भी प्रकार की आक्रामकता का संयुक्त रूप से मुकाबला किया जाएगा.
पाकिस्तान लंबे समय से एक परमाणु शक्ति के रूप में माना जाता है और अनुमान है कि उसके पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं, जो भारत के लगभग 172 वारहेड्स के बराबर हैं. ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि पाकिस्तान की सभी परमाणु स्थापनाएं निरीक्षण के लिए खुली रहती हैं और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करती हैं. उन्होंने इजरायल की तुलना करते हुए कहा कि इजरायल परमाणु शक्ति होते हुए भी अपनी सुविधाओं को निरीक्षण के लिए नहीं खोलता, जबकि पाकिस्तान ने हमेशा पारदर्शिता बरती है.
रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि समझौते का उद्देश्य आक्रामकता नहीं है, बल्कि केवल रक्षा है. उन्होंने कहा, 'हम किसी भी आक्रामकता के लिए इस समझौते का उपयोग करने का इरादा नहीं रखते लेकिन अगर किसी भी पक्ष पर खतरा आता है तो यह व्यवस्था लागू होगी.' इस समझौते को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल तेज हो गई है. माना जा रहा है कि यह समझौता खासकर इजरायल के लिए एक संकेत है, जो लंबे समय से मध्य पूर्व की इकलौती परमाणु शक्ति माना जाता है. हाल ही में इजरायली हमलों के चलते खाड़ी क्षेत्र में तनाव बढ़ा है, जिसमें दोहा में हमास नेताओं पर हमला भी शामिल है.
भारत ने इस समझौते पर चिंता जताई है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा कि भारत उम्मीद करता है कि सऊदी अरब इस कदम पर विचार करते समय आपसी हितों और संवेदनशीलताओं का ध्यान रखेगा. उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा और इस समझौते के क्षेत्रीय व वैश्विक स्थिरता पर प्रभावों का अध्ययन करेगा.
इस बीच, भू-राजनीतिक विश्लेषक इयान ब्रेमर ने कहा कि यह समझौता भारत की सुरक्षा स्थिति को बदल देगा और इस पर नई दिल्ली को गंभीरता से विचार करना होगा. ब्रेमर ने कहा कि यह सौदा पाकिस्तान को मजबूत करेगा और भारत की रणनीति पर सीधा असर डालेगा, खासकर उस पृष्ठभूमि में जब हाल ही में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई की थी.